India News Bihar(इंडिया न्यूज़),Buxar Panchkoshi Mela : बिहार के बक्सर जिले की पहचान बन चुका पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा मेला आज लिट्टी चोखा महोत्सव के साथ संपन्न हो गया। 20 नवंबर से शुरू होकर पांच दिनों तक चलने वाले पंचकोसी परिक्रमा मेले का चरित्रवन में लिट्टी चोखा के प्रसाद के साथ समापन हो गया। ठंड के बावजूद पंचकोसी परिक्रमा मेले में आए श्रद्धालु और साधु-संत पांच दिनों तक मेले के भक्तिमय माहौल से आनंदित दिखे। रविवार की सुबह से ही बक्सर के ऐतिहासिक किला मैदान में गंगा स्नान के बाद लाखों श्रद्धालुओं ने लिट्टी-चोखा बनाकर भगवान श्रीराम का महाप्रसाद मानकर उसका सेवन किया। इस दौरान पूरा आसमान धुंए से ढक गया। इस बार पंचकोसी मेले में जिला प्रशासन की ओर से सरकारी स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें कलाकारों ने भगवान श्रीराम से संबंधित भजन प्रस्तुत किए।
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लिट्टी चोखा खाने का विधान
आपको बता दें कि यह मेला पारंपरिक रूप से बक्सर के अहरौली स्थित अहिल्या मंदिर से शुरू होता है। मान्यता है कि भगवान राम ने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को यहीं पर श्राप से मुक्ति दिलाई थी। श्रद्धालु यहां एकत्र होकर भगवान राम की महिमा के गीत गाते हैं और पुआ व अन्य व्यंजन बनाकर रात्रि विश्राम करते हैं। मेले के दूसरे दिन आकर्षण का केंद्र यहां से करीब एक कोस दूर नादौन गांव होता है, जहां प्रसाद के रूप में खिचड़ी और चोखा चढ़ाया जाता है।
त्रेतायुग से चली आ रही मान्यता
मेले के तीसरे दिन श्रद्धालु भार्गव ऋषि आश्रम यानी भार्गवेश्वर महादेव में जाकर चूड़ा-दही खाते हैं और इसके बाद चौथा दिन बक्सर के बड़का नुआंव स्थित उद्दालक ऋषि के आश्रम में बिताते हैं। पंचकोसी मेले के आखिरी दिन आकर्षण का केंद्र बक्सर का चरित्रवन होता है, जहां विशाल मैदान में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और लिट्टी-चोखा का महाप्रसाद बनाते हैं। मान्यता है कि महर्षि विश्वामित्र ने ताड़का का वध करने वाले राम-लक्ष्मण को दिव्य अस्त्र यहीं दिए थे। मान्यता है कि रामायण में वर्णित भगवान राम ने यहीं लिट्टी-चोखा जैसा व्यंजन बनाकर खाया था, जिस उपलक्ष्य में श्रद्धालु आज भी इस मान्यता को मनाते हैं।