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बिहार चुनाव से पहले PM Modi ने चला ऐसा दाव, नहीं बचा विपक्ष के पास कोई रास्ता, राहुल-अखिलेश समेत तेजस्वी की भी उड़ी नींदें

Bihar Chunav: बिहार चुनाव आने में केवल कुछ ही समय बाकी है जहां विपक्ष अपनी तैयारियों में लगा हुआ हुआ वहीं बीजेपी सरकार ने भी दाव चलना शुरू कर दिया है। दरअसल बिहार चुनाव से पहले बीजेपी ने ऐसा दाव चला है जिसे जानकर तेजस्वी यादव के पैरों तले जमीन खिसक गई।

BY: Heena Khan • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Bihar Chunav: बिहार चुनाव आने में केवल कुछ ही समय बाकी है जहां विपक्ष अपनी तैयारियों में लगा हुआ हुआ वहीं बीजेपी सरकार ने भी दाव चलना शुरू कर दिया है। दरअसल बिहार चुनाव से पहले बीजेपी ने ऐसा दाव चला है जिसे जानकर तेजस्वी यादव के पैरों तले जमीन खिसक गई। दरअसल, देश में जातिगत आरक्षण को लेकर मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया। मोदी सरकार ने जातिगत आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष का गुब्बारा फोड़ दिया। सरकार ने आगामी जनगणना के साथ ही जातिगत जनगणना कराने का भी फैसला ले लिया है। दरअसल, मोदी सरकार ने विपक्षी दलों के चुनाव से पहले ही हाथ पैर फुला दिए हैं। अब प्रधानंत्री ने विपक्ष के बड़े नेताओं राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, शरद पवार से यह मुद्दा छीन लिया गया है।

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Tejashwi Yadav

बिहार चुनाव से पहले PM मोदी का कमाल

जैसा की आप सभी जानते हैं कि कई समय से ही विपक्ष का एक ही नारा रहा है, ‘जिसकी जितनी भागदौड़, उसकी उतनी भागदौड़, इसके लिए सभी नेता जातिगत जनगणना को पहला कदम बताते रहे हैं। दरअसल, इस तरह के फैसले का हर राज्य में अलग-अलग असर देखने को मिलता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर यूपी और बिहार में पड़ता है । वहीं ठीक चुनाव से पहले pm मोदी ने ये फैसला लेकर जीत के चांस बढ़ा दिए हैं। इसकी बड़ी वजह ओबीसी वोट बैंक है। वहीं अब जान लेते हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा चले गए इस दाव का क्या मतलब है?

विपक्षी नेताओं के उड़े होश

दरअसल, लंबे समय से यूपी में अखिलेश यादव और राहुल गांधी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। केवल यही नहीं बल्कि बिहार में तेजस्वी यादव भी जाति जनगणना के लिए लगातार मांग उठा रहे हैं। वहीं बिहार में जब आरजेडी और जेडीयू सत्ता में थी, तब सीएम नीतीश कुमार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया था। इसके बाद जाति जनगणना के आंकड़े सामने आए और उसके आधार पर जातियों का आरक्षण बढ़ा दिया गया। हालांकि, बिहार सरकार हाईकोर्ट में आरक्षण की लड़ाई हार गई।

अगर सुप्रीम कोर्ट भी ऐसा ही करता है, तो सवाल यह है कि जाति जनगणना जनता के लिए हो रही है या राजनीतिक दल इसे अगले कुछ सालों तक अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का औजार बनाकर इस्तेमाल करेंगे।वहीं कहा जा रहा है कि सरकार ने विपक्ष से मुद्दा छीन लिया है। अब सरकार इस मुद्दे को आगामी चुनावों में उठाएगी। वहीं अब विपक्ष पर मोदी सरकार को टारगेट करने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा।

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