बिहार

Chhath Puja 2024: कौन हैं छठ मैया और क्यों करते हैं इनकी पूजा? जानिए इतिहास

India News Bihar (इंडिया न्यूज),Chhath Puja 2024: इस साल छठ पर्व 05 अक्टूबर मंगलवार से शुरू हो रहा है। छठ पूजा के दौरान 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने से व्रती को स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। इस दौरान उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से छठ माता की पूजा का विधान है। तो आइए जानते हैं कि छठ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हिंदुओं में जश्न का माहौल, मुस्लिम पक्ष की इस अपील को किया खारिज

कौन हैं छठी मैया?

मार्कंडेय पुराण में उल्लेख है कि जब ब्रह्मा जी ने धरती का निर्माण करना शुरू किया तो उन्होंने प्रकृति की भी रचना की। इसके बाद देवी प्रकृति माता ने खुद को छह रूपों में विभाजित कर लिया। जिसका छठा भाग छठी मैया के नाम से जाना गया। इसी तरह छठी मैया को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। बच्चे के जन्म के छठे दिन देवी के इस रूप की पूजा की जाती है, जिससे बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

यह कथा है प्रचलित

छठी मैया की उत्पत्ति के बारे में एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार, राजा प्रियंवद और उनकी पत्नी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। इस बात से वे दोनों बहुत दुखी थे। जब वे संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर ऋषि कश्यप के पास पहुंचे तो ऋषि ने उन्हें संतान सुख पाने के लिए यज्ञ करने को कहा। राजा ने ठीक वैसा ही किया, जिससे उन्हें जल्द ही पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन बच्चा मर चुका था।

राजा प्रियंवद ने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया, लेकिन उसी क्षण कन्या देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि मैं सृष्टि की मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मैं षष्ठी कहलाऊंगी। हे राजन, आप मेरी पूजा करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। राजा ने वैसा ही किया और जल्द ही उन्हें भी पुत्र की प्राप्ति हुई।

श्री राम और सीता ने भी की थी सूर्य की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम लंका के राजा रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। लेकिन भगवान राम पर रावण वध का पाप था, जिससे मुक्ति पाने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ किया गया। तब ऋषि मुग्दल ने श्री राम और माता सीता को यज्ञ के लिए अपने आश्रम में बुलाया।

मुग्दल ऋषि की सलाह के अनुसार माता सीता ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को सूर्य देव की पूजा की और व्रत भी रखा। इस दौरान राम जी और माता सीता पूरे छह दिनों तक मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहे और पूजा-अर्चना की। इस तरह छठ पर्व का इतिहास रामायण काल ​​से जुड़ा हुआ है।

द्रौपदी ने रखा था छठ व्रत

पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ व्रत की शुरुआत भी द्रौपदी से जुड़ी है। माना जाता है कि द्रौपदी ने पांचों पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए छठ व्रत रखा था और भगवान सूर्य की पूजा की थी। इसके परिणामस्वरूप पांडवों को उनका खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था।

MP Crime: शर्मनाक! मानसिक रूप से बीमार महिला के साथ दुष्कर्म, सड़को पर दिखी कुछ ऐसे…

Ashish kumar Rai

Recent Posts

‘अब नहीं लड़ेगा चुनाव…’,लगातार मिल रही हार के बाद बसपा सुप्रीमो ने कह दी बड़ी बात, सुनकर रो पड़े पार्टी कार्यकर्ता

कटेहरी और मंझवा सीट पर बसपा पांच बार जीत चुकी है। फूलपुर में बसपा प्रत्याशी…

3 minutes ago

बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने जामा मस्जिद को बताया मंदिर , इस्लामी धर्म गुरु तौकीर रज़ा को लेकर कही ये बात…

India News(इंडिया न्यूज) up news:उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान…

4 minutes ago

उपचुनाव में सीटें गंवाने के बाद तेजस्वी यादव बोले- 2025 में बिहार जीतेंगे

India News (इंडिया न्यूज), Bihar news: बिहार उपचुनाव में 3 विधानसभा सीट गंवाने के बाद…

7 minutes ago

Delhi: हेड कांस्टेबल की मौत मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, 25 आरोपियों के खिलाफ आरोपों पर फैसला सुनाया

India News (इंडिया न्यूज़),Delhi: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी…

33 minutes ago