India News (इंडिया न्यूज) Konhara Ghat: ये दुनिया 21वीं सदी में भले ही आगे बढ़ गई हो, लेकिन आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल अब भी कायम है। जानकारी के मुताबिक, इसका नजारा बिहार के हाजीपुर स्थित कोनहारा घाट पर देखने को मिला, जहां हर साल की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर “भूतों का मेला” लगा।
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बता दें, गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित इस घाट पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इनमें वे लोग शामिल थे, जो शारीरिक या मानसिक समस्याओं से परेशान थे। ऐसे में, इनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए यहां तांत्रिक और बाबा अलग-अलग तरीके से पूजा-पाठ और झाड़-फूंक करते नजर आए। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस मेले में महिला तांत्रिक भी मौजूद थीं, जो अपने खास तरीकों से इलाज कर रही थीं। कार्तिक पूर्णिमा की रात यहां विशेष गंगा स्नान का आयोजन होता है। मान्यता है कि इस दिन यहां स्नान करने और पूजा करने से हर प्रकार की भूत बाधा और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
बता दें, तांत्रिक और बाबा गंगा मईया की पूजा के नाम पर झाड़-फूंक कर बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं। कोनहारा घाट का धार्मिक महत्व भी है। यह वही स्थान है, जहां भगवान विष्णु ने गज और ग्राह की लड़ाई में गज को मोक्ष दिलाया था। इसे मोक्षधाम के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, यह आयोजन जहां एक तरफ आस्था का प्रतीक है, वहीं देखा जाए तो, दूसरी तरफ अंधविश्वास और झाड़-फूंक के नाम पर लोगों के मानसिक और आर्थिक शोषण का सवाल भी खड़ा करता है। इस मेले में हर साल हजारों लोग आते हैं, और रातभर यह आयोजन चलता है।
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