इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
places to visit in bihar : बिहार में फाल्गू नदी किनारे स्थिति बोधगया जिला भारत में ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है। पितृपक्ष आते ही बोधगया का अलग ही माहौल बन जाता है। इस दौरान यहां पूरे भारत से लोग श्राद्ध के दौरान पिंडदान करने आते हैं। पितृपक्ष के दौरान यहां काफी भीड़ होती है। बोधगया में पितृपक्ष मेला भी लगता है। इसके अलावा Bodhgaya को भगवान गौतम बुद्ध के कारण भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर बोधिवृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध ने साधना करते हुए ज्ञान की प्राप्ति की थी। जिसके चलते बौद्ध धर्म के लिए यह स्थान काफी महत्व रखता है। आइए जानते हैं कि बोधगया में किन किन स्थलों देखा जा सकता है।
महाबोधि मंदिर बोधगया के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने 7वीं शताब्दी में बोधि वृक्ष के चारों ओर करवाया था। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति स्थपित है। इस मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति साक्षात उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठकर उन्होंने तपस्या की थी।
बोधगया, बिहार का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थान है जो फाल्गू नदी के पश्चिम किनारे में स्थित है। यह शहर बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर से दूर गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए Bodhgaya सबसे बड़े तीर्थस्थलों के रूप में प्रसिद्ध है क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी। बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था। मान्यताओं के अनुसार लगभग 500 वर्ष पहले बोधगया में फाल्गु नदी के तट पर बोधि पेड़ के नीचे कठोर तपस्या करने के बाद ही भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी ज्ञान की प्राप्ति के बाद उन्हें बुद्ध के नाम से जाना जाने लगा। भगवान बुद्ध को वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए ये दिन बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति की जगह पर उनके समर्थक जुटने लगे इसी वजह से इस जगह का नाम बोधगया पड़ा। आज के इस लेख में हम आपको बोधगया के कुछ प्रसिद्ध पर्टयक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं। महाबोधि मंदिर Bodhgaya के मुख्य आकर्षणों में से एक
महाबोधि मंदिर Bodhgaya के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने 7वीं शताब्दी में बोधि वृक्ष के चारों ओर करवाया था। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति स्थपित है। इस मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति साक्षात उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठकर उन्होंने तपस्या की थी। नालन्दा और विक्रमशिला के मंदिरों में भी इसी मूर्त्ति के जैसी मूर्तियों को स्थापित किया गया है।
अर्कियॉलजी म्यूजियम एक छोटा सा म्यूजियम है। इस म्यूजियम में हिंदू और बौद्ध धर्म की कई मूर्तियां और कलाकृतियां मौजूद है इसके अलावा खुदाई में मिली कुछ अन्य चीजें भी इस म्यूजियम में रखी गई हैं।
तिब्बतियन मठ Bodhgaya का सबसे बड़ा और पुराना मठ है। इस मठ में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा भी है। इस मठ की छत सोने से ढकी हुई हैं। इसी कारण इसे गोल्डन मठ भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण लकड़ी के बने प्राचीन जापानी मंदिरों को ध्यान में रख कर किया गया है। बुद्ध के जीवन में घटी महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्र के माध्यम से यहां दशार्या गया है। इस मठ का निर्माण भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि के रूप में किया गया था।
राजगीर में स्थित विश्व शांति स्तूप देखने में काफी आकर्षित है। ग्रीधरकूट की पहाड़ी पर बना हुआ है यह विश्व शांति स्तूप। इस पर जाने के लिए यहाँ पर एक रोपवे बना हुआ है। इसे आप सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक देख सकते हैं और इसके बाद इसे दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक देखा जा सकता है। राजगीर में ही प्रसद्धि सप्तपर्णी गुफा है जहां बुद्ध के निर्वाण के बाद पहला बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
राजगीर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नालंदा। प्राचीन काल में यहां विश्व प्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय स्थापित था। लेकिन अब बिहार सरकार द्वारा यहां अंतरराष्ट्रीय विश्व विद्यालय बनवाया गया है। यहां पर एक museum भी मौजूद है, जिसमें यहां से खुदाई में प्राप्त हुई वस्तुओं को रखा गया है।
Bodhgaya पहुंचने के लिए अगर आप हवाई मार्ग का सहारा ले रहे हैं तो बोधगया का नजदीकी हवाई अड्डा गया है जो बोधगया शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है।
अगर आप रेल मार्ग का सहारा लेते हैं तो बोधगया का नजदीकी रेलवे स्टेशन गया जंक्शन है जो यहां से 13 किमी दूर है।
अगर आप बस से आ रहे हैं तो गया से एक मुख्य सड़क बोधगया शहर को जोड़ती है। पटना से Bodhgaya के लिए बिहार राज्य पर्यटन निगम की बसें रोज दिन में दो बार चलती हैं और इसके अलावा प्राइवेट बसें भी चलती हैं।
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