India News ( इंडिया न्यूज), Bihar News: बिहार में आरजेडी नीतीश कुमार के लिये बार-बार असहज स्थितियाँ पैदा कर देती है, रामचरित मानस पर राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के ताज़ा बयान के बाद जेडीयू को अपना स्टैंड फिर साफ़ करना पड़ा। पार्टी को कहना पड़ा कि जिनको धर्म ग्रंथ के अंदर पोटेशियम साइनाइड दिखता है वो अपनी विचारधार अपने तक ही सीमित रखें, ये ना तो जेडीयू और ना ही ‘इंडिया’ गठबंधन की विचारधारा है, हम सबका सम्मान करते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग मीडिया की टीआरपी पाने के लिए और सुर्खियों में बने रहने के लिए अपनी इस तरह की विचारधारा को थोपते हैं जो कहीं से भी उचित नहीं है। ये बातें नीतीश कुमार की पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक झा के ज़रिये कही गयीं।
अगर आप जेडीयू बिधायक संजीव कुमार के बयान देखें तो वह ज़्यादा तीखा है, उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री करैत सांप हैं, अगर ये नहीं सुधरे तो चुनाव में जनता इन्हें सुधार देगी, शिक्षा मंत्री मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। इन्हें बिहार की जनता सीरियसली नहीं लेती, वे बिहार की जनता को बदनाम और समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। रामचरित मानस को लेकर ताज़ा विवाद तब शुरू हुआ जब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदी दिवस पर बिहार हिंदी ग्रंथ आकादमी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि रामचारितमानस में पोटेशियम साइनाइड है, जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध करते रहेंगे। जेडीयू का स्टैंड बताता है कि पार्टी ने शिक्षा मंत्री के बयान से ना सिर्फ़ किनारा कर लिया है बल्कि वह आक्रामक भी है। अभिषेक झा ने यह भी कहा कि हम सबका सम्मान करते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग मीडिया की टीआरपी पाने के लिए और सुर्खियों में बने रहने के लिए अपनी इस तरह की विचारधारा को थोपते हैं जो कहीं से भी उचित नहीं है।
आरजेडी कोटे के मंत्री चंद्रशेखर बार बार नीतीश सरकार को अपने बयान से मुश्किल में डालते है और ऐसा लगता है कि लालू यादव परिवार की तरफ़ से भी उन्हें इशारा मिलता है, इससे पहले चंद्रशेखर ने मानस पर ही टिप्पणी की थी। तब जेडीयू के नेताओं ने ख़ुद मानस पाठ कर जनता को संकेत दिया था कि उसकी हिंदू समाज की तरह रामचरितमानस पर आस्था है। दरअसल जेडीयू और आरजेडी के संबंध सत्ता और समाज को साधने के लिहाज़ से अनफिट हैं, स्वास्थ्य विभाग से राजस्व विभाग तक, कई मंत्रालयों की तरफ़ से किए गए सैकड़ों तबादले नीतीश कुमार ने ख़ुद रद्द किए थे, मुख्य मंत्री पद को लेकर भी एक खींचतान चलती रहती है। लालू प्रसाद यादव इस बात का दबाव डालते रहते हैं कि नीतीश कुमार कुर्सी तेजस्वी यादव को सौंप दें और ख़ुद केंद्र की राजनीति करें, दूसरी तरफ़ नीतीश कुमार किसी भी क़ीमत पर कुर्सी छोड़कर मोदी के विरोध में बने विपक्षी मोर्चे की राजनीति नहीं करना चाहते।
उन्होंने कुछ समय पहले साफ़ कहा था कि २०२५ के बाद की उनकी विरासत तेजस्वी को सम्भालनी है, संकेत इस बात का था कि लालू प्रसाद और आरजेडी के उतावले नेता राज्य में अगले चुनाव तक सब्र रखें। लेकिन आरजेडी नेताओं को यह बात बार-बार खलती है कि जेडीयू से लगभग दोगुना बिधायक होने के बावजूद ना तो सत्ता उसके हाथ है और ना ही नीतीश कुमार के आगे उनकी चल पाती है। चन्द्रशेखर के ख़िलाफ़ जेडीयू का स्टैंड आरजेडी के साथ उसकी चुनावी रणनीति के टकराव का नतीजा है। समस्या यह भी है कि २०२४ के चुनावों से पहले सीट साझेदारी एक बड़ी अड़चन होगी और आरजेडी नीतीश कुमार के साथ टफ बार्गेनिंग करने के मूड में है। नीतीश इसको समझ रहे हैं और आरजेडी के ख़िलाफ़ बार बार अपने स्टैंड के ज़रिये आरजेडी को डिफेंसिव मोड के रखना चाहते हैं।
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