इंडिया न्यूज, पटना (JDU And BJP) : विधानसभा के शताब्दी समारोह में जदयू और भाजपा के बीच मनमुटाव की खोजने वाले लोगों को निराशा हाथ लगी है। हवाई अड्डा से लेकर समारोह मंच तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भंगिमा एक दूसरे को पर्याप्त सम्मान देने की थी।

समारोह में भाजपा के साथ जदयू के नेता-कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। एक दिन पहले जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। राजनीतिक गलियारे में यह कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने संबोधन में विशेष दर्जा की मांग करेंगे लेकिन यह नहीं हुआ।

राज्य के गौरवशाली इतिहास का जिक्र

आयोजन की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने अलग से कोई मांग नहीं की। हां, उन्होंने राज्य के गौरवशाली इतिहास का जिक्र जरूर किया। कुछ मांग कर राजनीतिक श्रेय लेने से परहेज किया गया। सभी दल मान कर चल रहे थे कि शताब्दी समारोह एक विशिष्ट आयोजन है। विधानमंडल परिसर में हो रहा है। यह राज्य के लिए ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण है।

आयोजन में सर्वदलीय की थी भागीदारी

इसमें लाभ की राजनीति का समावेश नहीं होना चाहिए। कुल मिलाकर आयोजन में सर्वदलीय भागीदारी थी। सभी दलों के विधायक, पूर्व विधायक, विधान परिषद सदस्य, परिषद के पूर्व सदस्य, सांसद और पूर्व सांसद आए थे। इसलिए राज्य के लिए अलग से कोई मांग नहीं की गई।

पीएम ने की राज्य की भूमिका की तारीफ

चुनावी सभाओं की तरह ऐसे आयोजन में आम तौर पर वादे नहीं किए जाते हैं। मांग भी नहीं की जाती है। राज्य की उपलब्धियों का गुणगान ही किया जाता है। प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक और लोकतंत्र की स्थापना के संदर्भ में राज्य की भूमिका की काफी तारीफ की। इस सिलसिले में उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की तारीफ भी की। इसमें कोई संदेह नहीं कि महिला उत्थान और त्रिस्तरीय पंचायतों में आधी आबादी की भागीदारी सुनिश्चित कराने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के योगदान की सराहना पूरे देश में की जा रही है।

पीएम ने समाज के कमजोर वर्ग के जीवन स्तर उठाने का किया जिक्र

प्रधानमंत्री ने समाज के कमजोर वर्गों के जीवन स्तर ऊपर उठाने के प्रयासों के लिए बिहार का विशेष उल्लेख किया। इसे भी नीतीश कुमार की तारीफ से जोड़ कर देखा जा रहा है। समारोह की सफलता के लिए विधानसभा परिसर में ऐसे लोग भी आए थे, जो कभी किसी सदन के सदस्य नहीं थे। ये दलों के कार्यकर्ता और नेता थे। भाजपा के अलावा जदयू के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे। जिससे यह स्पष्ट था कि आयोजन की सफलता के लिए भाजपा और जदयू के कार्यकर्ता समान रूप से सक्रिय थे। जिससे आयोजित कार्यक्रम सफल हो सका।

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