India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: भागलपुर (बिहार) और प्रयागराज में आयोजित 144 साल बाद के महाकुंभ में सांस्कृतिक विविधता और लोक कला का अद्भुत संगम देखने को मिला है। इस महाकुंभ के महासंगम स्थल पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम के बीच देशभर के लोक कलाकारों ने अपनी कला का जलवा बिखेरा है। भारत सरकार के कला और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में लोक कला को विशेष स्थान दिया गया, जहां आठ विभिन्न जोनों में कलाकारों को अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर मिला।

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दो प्रमुख लोक कलाओं का हुआ प्रदर्शन

बिहार की दो प्रमुख लोक कलाएं – मंजूषा और मधुबनी पेंटिंग्स ने इस महाकुंभ की दीवारों और दरवाजों को सजाया। विशेष रूप से, मंजूषा कला की प्रदर्शनी में समुद्र मंथन जैसे ऐतिहासिक चित्रों को उकेरा गया, जो दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने। समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में अमृत और विष का प्रतीक उकेरना एक विशेष सांस्कृतिक संदेश था।

भागलपुर से महाकुंभ में पहुंचे मंजूषा कलाकार पवन सागर ने इस पहल को महत्वपूर्ण और सराहनीय बताया। उनका कहना था कि 144 साल बाद के महाकुंभ में मंजूषा, मधुबनी और वर्ली पेंटिंग्स का प्रदर्शन एक अनोखा अनुभव रहा। यह कला का प्रभावी प्रचार-प्रसार और देशभर की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

लोक कला को मिली नई पहचान

महाकुंभ में भागलपुर और बिहार की लोक कला को इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने से लोक कला के महत्व को एक नई पहचान मिली है।

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