India News (इंडिया न्यूज), Dharmbir Sinha\ Pinda Daan: बिहार की मोक्ष की भूमि गया जी की पावन धरती पर पितरों की मुक्ति की कामना को लेकर देश-विदेश से लाखो तीर्थयात्रियों हर साल यहां पहुंचते हैं। इस बार पितृपक्ष के दौरान रशिया यूक्रेन वार में शहीद हुए जवानों के पिंडदान के लिए भी उनके परिजन आए और तिलांजलि दी।

पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का महत्व

जर्मनी से करीबन 14 महिलाएं यहां पहुंची है। सभी भारतीय पारंपरिक वेशभूषा यानी साड़ी पहनकर अपने पितरों का तर्पण कर रही हैं। अपने हाथों से पिंड बनाकर विधि विधान से पिंडदान किया। सनातन धर्म के प्रति आस्था रखने वाले जानते है की गया जी में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का अपना महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितृ दोष और गुरु ऋण से मुक्ति मिलती है। जर्मनी से आई एसेलाना इशक ने बताया कि उन्होंने पढ़ा था कि गया में पितरों को पिंडदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। ऐसेटलाना मूल रूप से यूक्रेन की रहने वाली हैं।

यूक्रेन-जर्मनी की महिलाएं (Pinda Daan)

यूक्रेन और जर्मनी से आई दर्जन भर महिलाओं ने एक-एक कर गया जी में की पिंडदान तर्पण की। अबतक बीसियों विदेशी श्रद्धालुओं ने पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदान तर्पण किया । एक पखवाड़े तक चलने वाले पितृपक्ष के 13वें दिन विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना भी की।

पारंपरिक परिधान में दिखी महिलाएं

जर्मन के श्रद्धालुओं ने मुख्य रूप से अपने पति और यहां तक कि बेटे सहित परिवार के सदस्यों की दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए तर्पण अनुष्ठान किया है। बीते दिन 7 अक्टूबर को यूक्रेन की महिला ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था। रूस और यूरोपीय देशों के भारतीय संस्कृति की पारंपरिक परिधान में साड़ी पहने जर्मन की महिलाएं एक साथ देखी गईं।

महिलाओं में आध्यात्मिक आस्था अधिक

नतालिया, स्वेतलाना, ऑक्साना, शासा, इरिना, मार्गेरिटा, अलीसांद्रा और ग्रिचकेविच इन सभी के बीच एक और धोती पहने एकमात्र पुरुष केविन ने भी अनुष्ठान में भाग लिया। यह सभी विदेशी मेहमानों के पूरी हिंदू रीति रिवाज के साथ विधिवित कर्मकांड पंडित लोकनाथ गौड ने कराया है। इस संबंध में लोकनाथ गौड कहा कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आध्यात्मिक आस्था और विश्वास अधिक है।

14 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष

जर्मन महिलाओं में से एक वैलेंटान इसका उदाहरण है। जब उनके पति ने रुचि नहीं दिखाई, तो उन्होंने अपने बेटे के लिए अनुष्ठान करने के लिए गया जी आने का फैसला किया। जो किशोरावस्था में ही चला गया था। गयाजी में पिंडदान तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गयाजी की प्रमुख वेदियो में से प्रेतशिला,रामशिला, देवघाट,अक्षयवट, विष्णुपद सहित 54 वेदियों पर विशेष रूप से श्रद्धालु पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष मेला 14 अक्टूबर तक चलेगा।

ज़िलाधिकारी ने दी जानकारी

गया ज़िलाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम ने कहा, विदेशी श्रद्धालुओं के लिए देव घाट पर पर्याप्त संख्या में महिला दंडाधिकारी की नियुक्ति की गई है। जिलाधिकारी ने ये भी बताया की यहां की फल्गु एक भूमिगत नदी है, जो बरसात के मौसम को छोड़कर अक्सर सूखी रहती है। लेकिन इस मेले में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गया जी डैम बनकर तैयार है। ताकि श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ के लिए पानी की व्यवस्था में कोई परेशानी ना हो।

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