India News Bihar (इंडिया न्यूज), Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चल रहा है। पिंडदान करने के लिए गया जैसे धार्मिक स्थलों पर देशभर से लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं, क्योंकि माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पूर्वज जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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जानें क्या है मान्यता
पिंडदान की प्रक्रिया के बाद एक खास मान्यता है कि व्यक्ति को सीधे अपने घर लौटना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता है कि पिंडदान करने के बाद किसी रिश्तेदार या जान-पहचान वाले के यहां ठहरने से पूर्वजों की आत्मा की शांति बाधित हो सकती है। इसलिए, पिंडदान के बाद किसी रिश्तेदार के घर रुकने की बजाय होटल या धर्मशाला में ठहरने का नियम है, और इसके बाद सीधे अपने घर लौटना आवश्यक होता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार से पूर्वजों की आत्मा को पूर्ण शांति मिलती है।
हर नियम का पालन करना है जरुरी
इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन भी किया जाता है, जैसे जमीन पर सोना, एकांतवास करना, और पराए अन्न का ग्रहण न करना। इन विधियों का पालन करने से ही पिंडदान की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है। श्रद्धा और आस्था के साथ किए गए इस कार्य को ‘श्राद्ध’ कहा जाता है, और इसे पूर्ण श्रद्धा भाव से निभाना जरूरी है। साथ ही, पिंडदान करने के लिए गया तीर्थस्थल विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां हर साल हजारों लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं और धर्म के नियमों का पालन करते हुए सीधे अपने आवास लौटते हैं।