India news (इंडिया न्यूज़), Muzaffarpur: बिहार के मुजफ्फरपुर के बाबा धाम से अदभुत तस्वीर सामने आया है। जहां एक पैर से चलकर 100 KM दूर गरीबनाथ धाम में जलाभिषेक करने को पहुंची राज नंदिनी। दिव्यांग बहन ने किया है बाबा गरीब नाथ का जलाभिषेक अपने भाई की सलामती के लिए मांगी थी मन्नत। राज नंदिनी के इस अटूट विश्वास और भरोसा के सामने हर कोई कर रहा है चर्चा।
राज नंदिनी के एक पैर है किंतु जज्बा कम नहीं है
भाई बहन के प्रेम का आने वाला पर्व त्योहार रक्षाबंधन नजदीक है और अभी सावन माह भी है। ऐसे में जिले मुजफ्फरपुर से एक अनोखी तस्वीर सामने आया है, जहां बिहार राज्य के हाजीपुर की एक पैर से ही दिव्यांग राजनंदिनी भाई की सलामती के लिए मांगी दुआओं को लेकर 100 km दूर से जलबोझी करके एक पैर से ही बाबा नगरी पहुंची और फिर किया बाबा गरीब नाथ का जलाभिषेक और लिया आशीर्वाद आईपीएस बनने का सपना लिए दिव्यांग राज नंदिनी एक पैर है किंतु जज्बा कम नहीं है।
हाजीपुर की रहने वाली राजनंदनी
बता दें कि वैशाली जिले के हाजीपुर की रहने वाली राजनंदनी अपने पिता के साथ देर रात को बाबा गरीब नाथ धाम में पहुंची। जहां बाबा गरीब नाथ का जलाभिषेक कर आशीर्वाद लिया और कहा अपने भाई के लिए जो मन्नत मांगी थी कि भाई ठीक हो जाएगा तो यहां पर बाबा को आकर जलाभिषेक करूंगी। आज बहुत खुश हूं, राज नंदिनी के इस अदभुत हौसले को देखकर पूरे कांवरिया पथ और बाबा मंदिर के पास लोग देखते दंग रह गए।
अपने पिता के साथ बाबा का जलाभिषेक करने के बाद बेहद उत्साहित और खुश हुई राजनंदनी ने कहा कि उसका सपना आईपीएस बनकर देश की सेवा करना है। एक पांव होने के बाद भी उसके हौसले में कोई कमी नहीं है। महज 10 वर्ष की राजनंदिनी के हौसलों को देख हर कोई आश्चर्य कर रहा है।
गरीब नाथ से मन्नत मांगी थी कि भाई ठीक हो जाएगा
दरअसल ये बता दें राजनंदिनी के भाई का हृदय का ऑपरेशन हुआ था और सुरक्षित ऑपरेशन को लेकर उसने बाबा गरीब नाथ से मन्नत मांगी थी कि भाई ठीक हो जाएगा तो पहले जाकर घाट से गंगा जल लेकर कर जाऊंगी और बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक करूंगी। फिर अब जब भाई के ठीक होते ही, ना सिर्फ एक पाव पर पहुंची बाबा गरीब नाथ धाम जलाभिषेक करके मन्नत मांगी। बल्कि भाई के लिए कई खिलौने भी लिए।
राजनंदनी के पिता सुभाष कुमार ने बताया कि…
राजनंदनी के पिता सुभाष कुमार ने बताया कि मैं खुद अपनी बेटी से प्रेरणा लेता हूं और उसके जज्बे को देखकर आश्चर्य हो जाता हूं। मेरे अंदर भी इतनी ऊर्जा उत्साह और समर्पण का भाव नहीं है, जितनी मेरी बेटी के एक पैर होने के वजह से परिवार में लोगों ने आने से मन जरूर किया था। किंतु मैंने ठान लिया कि मेरी बेटी बाबा गरीबनाथ धाम जाएगी और अपने भाई की मांगे गए मन्नत को जरूर पूरा करेगी बस यही जिद और हौसला हमे यहां पर लेकर आ गया जब दूसरी बेटी पर्वत पर चढ़ सकती है तो मेरी राज नंदिनी क्यों नहीं।
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