इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : है देह विश्व, आत्मा है भारत माता, सृष्टि प्रलय पर्यंत अमर रहे माता…। संपूर्ण विश्व जो चलता है, उसकी आत्मा भारत है। भारत के रहने से विश्व रहता है। अकेला भारत ऐसा है जो कभी रास्ता नहीं छोड़ता और जो रास्ता भटक जाते हैं उनको रास्ते पर लाता है। भगवान ने भारत को यह काम दिया है। भारत इसे आदिकाल से कर रहा है। शनिवार को भारत की सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत ने ये बातें बिहार के बक्सर में कहीं। आपको बता दें, बक्सर शहर के नया बाजार स्थित श्रीसीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पुष्पवाटिका के दर्शन के पश्चात संघ प्रमुख कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

संघ प्रमुख ने भगवान को बताया अध्यात्म का रस

मोहन भागवत ने कहा कि आध्यात्म का जो रस है वही भगवान हैं। भगवती की शक्ति भगवान का संकल्प दोनों को मिलाकर रामायण बनता है। राम की कृपा से राम जैसे लोग भी जन्म लेते हैं। इसलिए भारत कभी मृत नहीं हुआ। भारत अमर है। भारत को जीतने वाले भारत में आकर समाप्त हो गए। उनकी महत्वाकांक्षा समाप्त हो गई। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि बार-बार पुरुषार्थ हुआ है।

भारत थक के सोता जाता है फिर जगता भी है

भागवत ने कहा कि हमारे यहां कर्म की कोई कमी नहीं है। भक्ति का प्रवाह अखंड है। ज्ञान हमारे यहां कभी कम नहीं था। थक जाते हैं सो जाते हैं लेकिन फिर जग जाते हैं। कितने लोग आए। सब आए हमको जीतने के लिए। सबकी जगत विजय करने की महत्वाकांक्षा भारत में आकर विलुप्त हो गई। उनकी राक्षसी वृत्ति चली गई। यहां भक्ति का प्रवाह अखंड है जैसे गंगा बह रही है। तभी तो हम नया कर्म नया पुरुषार्थ लेकर खड़े हो जाते हैं। यह प्रताप किसका है। यह उस भक्ति का प्रताप है। ये भक्ति हमारी शक्ति बनती है। उसमें अदभुत शक्ति है। इस भक्ति को समाज में जीवित रखने का काम संतों के द्वारा होता है। ऐसे उपक्रम में सामान्य व्यक्ति भी आता है और समझ लेता है इसलिए ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए।

भारत सिर्फ शरीर बदलेगा मरेगा नहीं

इस भाव को मन में धारण करके समस्त प्राणियों के परोपकार के लिए जीवन जीना और अंदर इस आत्म साक्षात्कार को जीवित रखना ये भारतवासी जब तक करते रहेंगे तब तक भारत रहेगा क्योंकि वह विश्व की आत्मा है। विश्व को जब शरीर बदलना है तब भारत उसको छोड़कर जाएगा। सरसंघचालक ने कहा कि भारत मरेगा नहीं भारत केवल शरीर बदलेगा, विश्व पूरा बदल जाएगा। हमको प्रलय तक इस भाव को जीवित रखने का दायित्व हमारी परंपरा ने हमारी भगवत सत्ता ने दिया है। उसको निभाने का प्रण हम करें और उसके लिए आवश्यक शक्ति, भक्ति और कर्म ऐसे प्रसंगों से प्राप्त करें।

भगवान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा जरूरी

जानकरी दें, सिय- पिय मिलन महोत्सव से पूर्व संघ प्रमुख ने ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का पूजन और शिव सरोवर पर उन्होंने गंगा आरती की। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को सफल करने के लिए भगवान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा जरूरी है। पुरुषार्थ और संकल्प के प्रयास से हर प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं। कहा कि जो लोग धर्म के प्रति श्रद्धा नहीं रखते उन्हें भी ईश्वरीय शक्ति को मानना पड़ा। ईश्वरीय शक्ति की कृपा से राष्ट्र में हर प्रकार के कार्य सफल होते हैं लेकिन, इससे पहले ईश्वर के प्रति निष्ठा और संकल्प शक्ति को जागृत करना जरूरी है। राष्ट्र के निर्माण और पुरुषार्थ के लिए ही इस देश में ईश्वर का प्रकटीकरण हुआ है। हम प्रयास करेंगे तो मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी।