India News Bihar (इंडिया न्यूज) Bihar Pitru Paksha: पितृ पक्ष मेला-2024 के दौरान श्रद्धालुओं के पितरों के निमित्त पिंडदान करने 26 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक नगरी बागेश्वर धाम के सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री गया आ रहे हैं। वहीं औरंगाबाद के एक पंडित ने बड़ी सलाह दी है। यह सलाह उन्हें औरंगाबाद के जम्होर के निकट आदि गंगा पुनपुन के तट पर पितृ पक्ष में पिंडदानियों को गयाजी में पिंडदान से पहले पहला पिंड देने वाले पंडित कुंदन पाठक ने दी है।
जानकारी के अनुसार पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने भक्तों के पितरों के निमित्त पिंडदान करने गयाजी जरूर आए लेकिन पुनपुन नदी में पहला पिंड अर्पित करने का पौराणिक नियम नहीं भूले। यह भूल उनके भक्तों के लिए महंगी साबित होगी। अगर उनके भक्त गयाजी में अपने पितरों के निमित्त पिंडदान करने से पहले गया श्राद्ध तर्पण के प्रवेश द्वार पुनपुन नदी में अपने पितरों के निमित्त पिंड नहीं अर्पित करते हैं तो उनके द्वारा गयाजी में अपने पितरों के निमित्त किया गया पिंडदान व्यर्थ हो जाएगा। उनके पूर्वजों को वह प्राप्त नहीं होगा और पितर असंतुष्ट रहेंगे।
उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री को अपने भक्तों के साथ इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होने देनी चाहिए। पंडित कुंदन पाठक ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि गयाजी के सभी पुजारी यह भलीभांति जानते और मानते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान गया में श्राद्ध तर्पण करने से पहले आदि गंगा पुनपुन में पितरों को पहला पिंड अर्पित करने का पौराणिक अनुष्ठान है, जो सदियों से चला आ रहा है। इसके बावजूद गयाजी के पुजारी पिंडदानियों से पुनपुन नदी की जगह गोदावरी सरोवर में अनुपूरक अनुष्ठान के जरिए अपने पूर्वजों को पहला पिंड अर्पित करवाते हैं। गया में अनुपूरक अनुष्ठान के जरिए पितरों को पहला पिंड अर्पित करने से गया श्राद्ध दोषपूर्ण और अधूरा रह जाता है और पितर उसे ग्रहण नहीं कर पाते और संतुष्ट नहीं होते। इसलिए उनका धीरेंद्र शास्त्री से विनम्र अनुरोध है कि वह अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए गया आने से पहले पुनपुन नदी के किसी भी घाट पर पितरों को पहला पिंड अवश्य अर्पित करें।
इसके बाद ही गया में विधि विधान से श्राद्ध तर्पण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 2023 में भी बागेश्वर धाम के सरकार धीरेंद्र शास्त्री पितृ पक्ष में श्रद्धालुओं के पितरों के लिए पिंडदान करने गया आए थे। पिछली बार भी वे आदि गंगा पुनपुन में श्रद्धालुओं के पितरों को पहला पिंड अर्पित करने का धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने की जिम्मेदारी और कर्तव्य को भूल गए थे। वे उन्हें याद दिला रहे हैं कि इस बार यह गलती नहीं होनी चाहिए क्योंकि बार-बार की गई गलती अक्षम्य होती है और उसे भगवान भी माफ नहीं करते हैं। इसलिए उनसे अनुरोध है कि इस बार गलती न दोहराएं। कहा कि आप सनातन धर्म और सनातनी परंपरा के ध्वजवाहक हैं। आपसे काफी उम्मीदें हैं। आपसे उम्मीद है कि निःसंदेह आप आदि गंगा पुनपुन में अपने श्रद्धालुओं से पितरों के लिए पिंडदान करवाकर पितरों को पहला पिंड अर्पित करने की पौराणिक मान्यता को कायम रखेंगे और इसके जीर्णोद्धार का भी कार्य करेंगे।
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