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Birju Maharaj Birth Anniversary: मशहूर कथक नर्तक बिरजू महाराज के जयंती पर जानिए करियर और पुरस्कारों के बारे में

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : February 4, 2024, 2:10 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Birju Maharaj Birth Anniversary: मशहूर कथक नर्तक बिरजू महाराज एक ऐसी शख्सियत थे, जो घुंघरू की आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। बिरजू महाराज जब नाचते थे तो उनके घुंघरू भी बोलते थे। एक नर्तक के लिए ताल और घुंघरू का समन्वय करना आम बात है, लेकिन जब अपने घुंघरू की खनकती आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की बात आती है, तो बिरजू महाराज का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने कथक को भारत समेत पूरी दुनिया में एक अलग स्तर पर पहुंचाया था। तो चलिए मशहूर कथक नर्तक बिरजू महाराज के जयंती पर जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें

बिरजू महाराज का जन्म

बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज और माता का नाम अम्मा महाराज था। जब बिरजू महाराज केवल तीन वर्ष के थे, तब उनके पिता ने उनकी नृत्य प्रतिभा को देखकर उन्हें दीक्षा देना शुरू कर दिया। जब बिरजू महाराज नौ वर्ष के हुए तो उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने चाचा आचार्य शंभु और लच्छू महाराज से दीक्षा लेनी शुरू कर दी। कुछ वर्षों के बाद पंडित महाराज दिल्ली आये और संगीत भारती में बच्चों को कथक सिखाने लगे।

बिरजू महाराज का करियर

कथक के साथ-साथ बिरजू महाराज को तबला, पखावज नाल और सितार आदि वाद्ययंत्रों में भी महारत हासिल थी। इसके साथ ही बिरजू महाराज एक अच्छे गायक, कवि और चित्रकार भी थे। कथक को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने दिल्ली में नृत्य विद्यालय ‘कलाश्रम’ की स्थापना की, जहाँ कथक के अलावा उससे संबंधित विषयों की शिक्षा दी जाती थी। बिरजू महाराज ने कथक को एक अलग पहचान दी. बिरजू महाराज की लंबी यात्रा रही है. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में नृत्य निर्देशन भी किया है. बिरजू महाराज ने सत्यजीत रे की क्लासिक ‘शतरंज के खिलाड़ी’, यश चोपड़ा की फिल्म ‘दिल तो पागल है’, ‘गदर एक प्रेम कथा’, ‘डेढ़ इश्किया’ और संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ के साथ-साथ ‘बाजीराव मस्तानी’ में भी काम किया है।

कई पुरस्कारों से हुए सम्मानित

बिरजू महाराज ने अपने लंबे सफर में खूब शोहरत बटोरी है। बिरजू महाराज को 1986 में पद्म विभूषण पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी और कालिदास पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्हें वर्ष 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2012 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फिल्म विश्वरूपम के लिए। इसके बाद 2016 में पंडित बिरजू महाराज को हिंदी फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के गाने मोहे रंग दो लाल के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।

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