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Real Life Gadar: रियल लाइफ बूटा सिंह की कहानी जान आ जाएंगे आंखों में आंसो, प्यार के लिए हद के साथ सरहदें भी के पार

Simran Singh • LAST UPDATED : August 10, 2023, 1:37 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Real Life Gadar, दिल्लीबॉलीवुड के सुपरस्टार सनी देओल और अमीषा पटेल की सुपरहिट फिल्म गदर जिसे फैंस का भरपूर प्यार मिला था। इस फिल्म के अंदर पाकिस्तान की राजनेता की बेटी सकीना के साथ भारतीय ट्रक ड्राइवर तारा सिंह की लव स्टोरी को दिखाया गया था। हर बार ‘उड़ जा काले कावा’ गाना सुन के फिल्म की पुरानी यादें ताजा हो जाती है। जब इनको 2001 में फिल्म को पहली बार रिलीज किया गया। तो हर बच्चे और जवान के मुंह पर फिल्म का गाना बस रहता था। वहीं अब 22 सालों बाद एक बार फिर सनी देओल और अमीषा पटेल की जोड़ी को ग़दर 2 के जरिए वापस सिल्वर स्क्रीन पर लाया जा रहा है।

इसके साथ ही बता दें कि फिल्म ने अभी तक 1.3 लाख टिकट बेच दी है। ऐसे में हम आपको गदर से जोड़ी कहानी के बारे में बताएंगे जो पूर्व सैनिक बूटा सिंह की रियल लाइफ लव स्टोरी से प्रेरित है।

तारा सिंह के रूप में सनी देओल का किरदार है सैनिक से इंस्पायर्ड

बता दे कि सनी देओल का फिल्म में किरदार तारा सिंह का है। जो ब्रिटिश सेना के पूर्व सैनिक बूटा सिंह के जीवन से प्रेरित है। जिन्होंने विश्व युद्ध के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन की कमान में बर्मा फ्रंट में सेवा की थी। वही मुस्लिम लड़की जैनब के साथ उनकी लव स्टोरी भारत और पाकिस्तान में खूब फेमस है। इसके साथ ही बता दे की बूटा सिंह पंजाब के लुधियाना में रहा करते थे।

Boota Singh
Boota Singh

रियल लाइफ तारा सकीना की है लव स्टोरी

खबरों के मुताबिक बताएं तो भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पूर्व पंजाब से कई मुस्लिम परिवार को खदेड़ दिए गए था और उनकी हत्या भी की गई थी। एक युवा मुसलमान लड़की जैनब का पाकिस्तान की ओर जाने वाले काफिले से अपहरण कर लिया गया। जिस दौरान बूटा सिंह ने उसे पाकिस्तानी लड़की को बचाया और उससे प्यार कर बैठे, बूटा और जैनब की शादी हुई और उनके दो बेटियां तनवीर व दिलवीर भी हुई थी।

Boota Singh and Zainab
Boota Singh and Zainab

बंटवारे के 10 साल बाद जुड़ी हुई अलग

वही बता दें कि उनकी यह प्यार भरी लव स्टोरी ट्रैजिक स्टोरी में बदल गई थी। जब भारत पाकिस्तान सरकार ने इंटर-डोमिनियन संधि पर हस्ताक्षर किए थे। जिसमें दोनों देशों से जितने संभव हो सके उतने अपहृत महिलाओं को बरामद करना अनिवार्य हो गया था। ऐसे में बहुत से लोग नहीं जानते थे कि इस नियम को लागू करने के लिए एक अध्यादेश भी पारित किया गया था। जिसमें कहा गया था कि अगर किसी महिला ने 1 मार्च 1947 के बाद अंतर-सांप्रदायिक संबंध में एंट्री की है, तो उसे अपहरण माना जाएगा।

खबरों के मुताबिक खोजी दलों में से एक को बूटा सिंह के घर के बारे में तब पता चला जब उनके भतीजे ने दस्ते को जैनब के बारे में सूचित किया, कानून द्वारा कभी जैनब की इच्छा नहीं पूछी गई। बताया जाता है कि जिस दिन जैनब की विदाई हुई तो पूरा गांव उनको छोड़ने आया था। उनकी छोटी बेटी दिलवीर को लेकर वह बाहर चली गई थी। वह अपने परिवार से फिर मिली जो लाहौर के बाहरी इलाकों में छोटे से गांव नूरपुर में रहता था।

जैनब पर परिवार ने दोबारा शादी का डाला था दबाव

इसके बाद जैनब का जीवन पूरी तरीके से बदल गया क्योंकि उनके माता पिता की मौत हो चुकी थी और उनकी बहन संपत्ति की कानूनी उत्तराधिकारी बन गई थी। जैनब के चाचा ने जैनब पर अपनी बेटे से दोबारा शादी करने का दबाव डाला, खबरों के मुताबिक बूटा को पाकिस्तान से एक खत मिला था। जो जैनब के पड़ोसी ने उनके कहने पर लिखा था। बूटा दिल्ली के अधिकारियों के पास गए और उनसे अपनी पत्नी व बेटी को वापस ले जाने के लिए कहा।

पाकिस्तान में एंट्री के लिए अपनाया इस्लाम धर्म

वहीं पाकिस्तान में जाने के लिए बूटा सिंह के पास इस्लाम अपनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। वह अपनी पत्नी और बेटी को वापस पाने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान में दाखिल हो गए। बूटा सिंह को हैरानी हुई जब उनके परिवार ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया और अपने परिवार के दबाव में जैनब ने बूटा सिंह के साथ अदालत में लौटने से इनकार कर दिया और अधिकारियों से अपनी बेटी को उनके साथ भेजने के लिए कहा।

बूटा ने हिम्मत हार की आत्महत्या कहा मुझे उसी गांव में दफना जहां वो रहती है

इस कठिन परिस्थिति से गुजरते हुए बूटा सिंह काफी हद तक टूट चुके थे। उन्होंने अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान के शाहदरा स्टेशन के पास ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली, लेकिन वह बच गए बूटा सिंह की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में अपनी प्यारी पत्नी जैनब के गांव में ही दफन होने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन परिवार ने इसकी इजाजत नहीं दी और बूटा सिंह को बाद में लाहौर के मियां साहब में दफन कर दिया गया।

वही बूटा सिंह और जैनब की लव स्टोरी ने कई बॉलीवुड फिल्मों को प्रेरित किया सिर्फ गदर ही नहीं ‘वीर जारा’ भी इसी कहानी से प्रेरित फिल्म है। बूटा सिंह और जैनब कि प्रेम कहानी का इतना दुखद अंत हुआ था। एक तरफ बूटा सिंह का परिवार उनके बारे में बात नहीं करता। वहीं जैनब के परिवार के लोग उसे घटना को याद भी नहीं करना चाहते हैं। वही एक बार एक पत्रकार उनके गांव में गया था तो उसे इस मामले के बारे में कभी बात नहीं करने के लिए कहा गया था।

 

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