India News (इंडिया न्यूज), Adani Group: अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC), जो 100 बिलियन अमरीकी डॉलर के करीब की संपत्ति का प्रबंधन करने वाली सबसे बड़ी सॉवरेन फंड में से एक है। उसने अडानी समूह को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि समूह के संस्थापक अध्यक्ष गौतम अडानी पर अमेरिका द्वारा अभियोग लगाए जाने के बावजूद समूह में निवेश पर उसका दृष्टिकोण अपरिवर्तित बना हुआ है। अडानी समूह के प्रमुख विदेशी निवेशकों में से एक आईएचसी ने एक बयान में कहा कि अडानी समूह के साथ हमारी साझेदारी हरित ऊर्जा और स्थिरता क्षेत्रों में उनके योगदान में हमारे विश्वास को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे सभी निवेशों की तरह, हमारी टीम प्रासंगिक जानकारी और विकास का मूल्यांकन करना जारी रखती है। इस समय, इन निवेशों पर हमारा दृष्टिकोण अपरिवर्तित बना हुआ है।

IHC ने किया है बड़ा निवेश

आईएचसी ने अप्रैल 2022 में अक्षय ऊर्जा शाखा अडानी ग्रीन एनर्जी और बिजली कंपनी अडानी ट्रांसमिशन में लगभग 500 मिलियन अमरीकी डॉलर और समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज में 1 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया था। इसके बाद में, इसने AGEL में अपनी 1.26 प्रतिशत हिस्सेदारी और ATL में 1.41 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी। जिसे अब अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड कहा जाता है, लेकिन अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 5 प्रतिशत से अधिक कर दी। वहीं आईएचसी का बयान अडानी समूह द्वारा इस बात पर जोर दिए जाने के तुरंत बाद आया है कि उसके अध्यक्ष और उनके सहयोगियों पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के तहत आरोप नहीं लगाए गए हैं।

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अमेरिकी न्याय विभाग ने लगाया था आरोप

बता दें कि, पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क की एक अदालत में दायर अमेरिकी न्याय विभाग (यूएस डीओजे) के अभियोग में पोर्ट-टू-एनर्जी समूह के संस्थापक अध्यक्ष गौतम अदानी, उनके भतीजे सागर या विनीत जैन का एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश से संबंधित किसी भी मामले में उल्लेख नहीं किया गया है। एजीईएल, जो कि सौर ऊर्जा बिक्री अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कथित रूप से 265 मिलियन अमरीकी डालर की रिश्वत दिए जाने के आरोप के केंद्र में है। जिससे फर्म को 20 साल की अवधि में 2 बिलियन अमरीकी डालर का लाभ मिल सकता है। उसने स्टॉक एक्सचेंज को एक फाइलिंग में कहा था। कंपनी ने कहा कि तीनों, जो एजीईएल में कार्यकारी हैं। उनपर केवल प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। सामान्य तौर पर, ऐसे आरोपों के लिए दंड रिश्वतखोरी से कम गंभीर होते हैं।

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अडानी समूह ने आरोपों को बताया निराधार

बता दें कि, अडानी समूह ने पिछले सप्ताह सभी आरोपों को निराधार बताते हुए इनकार किया और कहा कि वह अपने बचाव के लिए कानूनी सहारा लेगा।इस बीच, अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों ने भी अपना निरंतर समर्थन व्यक्त किया है। श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण ने अडानी के साथ अपनी साझेदारी में अपना निरंतर विश्वास व्यक्त किया है, क्योंकि भारतीय समूह देश के बंदरगाह बुनियादी ढांचे के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलंबो टर्मिनल में 1 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश के साथ, यह परियोजना श्रीलंका के बंदरगाह क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बनने के लिए तैयार है।

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श्रीलंका और तंजानिया ने दिया समर्थन

बता दें कि, श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष एडमिरल सिरिमवान रणसिंघे (सेवानिवृत्त) ने कथित तौर पर कहा है कि परियोजना को रद्द करने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है। यह परियोजना अगले कुछ महीनों में चालू हो जाएगी। साथ ही, तंजानिया सरकार ने अदानी पोर्ट्स के साथ अपने समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है, क्योंकि उसे लगता है कि चल रही परियोजनाओं के बारे में कोई चिंता नहीं है और सभी अनुबंध पूरी तरह से तंजानिया के कानून का अनुपालन करते हैं। दरअसल, मई 2024 में, तंजानिया और अदानी पोर्ट्स ने दार एस सलाम बंदरगाह पर कंटेनर टर्मिनल 2 को संचालित करने के लिए 30 साल के रियायत समझौते को अंतिम रूप दिया। इसके अलावा, अडानी पोर्ट्स ने 95 मिलियन अमरीकी डॉलर में तंजानिया इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल सर्विसेज, एक सरकारी स्वामित्व वाली इकाई में 95 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की।

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