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एनडीटीवी में हिस्सेदारी के लिए अडाणी ग्रुप ने नहीं ली सेबी से मंजूरी, जानिए क्यों फंस सकता है पेंच

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Adani Group): अडाणी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी में 29.18 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के मामले में फिलहाल सेबी का पेच फंसता नजर आ रहा है। मीडिया कंपनी एनडीटीवी में हिस्सेदारी लेने के लिए अडाणी ग्रुप ने सेबी की मंजूरी नहीं ली है।

एनडीटीवी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसके प्रमोटर प्रणय राय और राधिका राय पर शेयरों की खरीद या बिक्री तथा प्रतिभूति बाजार से संबंद्धता पर प्रतिबंध लगाया गया है। अत: अडानी ग्रुप को लेनदेन को पूरा करने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी लेनी होगी।

सेबी की मंजूरी के बिना एनडीटीवी में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा नहीं हो सकता है। रेगुलेटरी फाइलिंग में एनडीटीवी ने बताया है कि एनडीटीवी की प्रमोटर एंटिटी आरआरपीआर को अडाणी ग्रुप की विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड बकाए के बदले तभी अधिग्रहण कर सकेगी, जब इसे सेबी की मंजूरी मिलेगी।

26 फीसदी शेयरों के लिए पेश किया खुला आफर

बता दें कि उद्यम हस्ती गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडाणी ग्रुप ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उसकी मीडिया शाखा एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (एएमएनएल) परोक्ष रूप से एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी और 26 फीसदी शेयरों के लिए खुला आफर भी पेश करेगी।

इस दौरान ग्रुप ने स्टॉक एक्सचेंजों बीएसई और एनएसई को भी सूचित किया कि एएमएनएल ने वीसीपीएल में 100 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी हासिल कर ली है। एनडीटीवी के प्रमोटर्स का दावा है कि मंगलवार के पहले तक वे इस टेकओवर से अंजान थे और यह बिना उनकी सहमति या बिना किसी चर्चा के हुआ।

सेबी से मंजूरी लेना जरूरी क्यों

गौरतलब है कि 2 साल पहले 27 नवंबर 2020 को सेबी ने एनडीटीवी के फाउंडर और प्रमोटर्स प्रणय रॉय व राधिका रॉय को सिक्योरिटीज मार्केट में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया था। अत: वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरीके से सिक्योरिटीज के खरीद-बिक्री या अन्य कोई सौदा नहीं कर सकते हैं। यह प्रतिबंध 2 साल यानि कि 26 नवंबर 2022 तक के लिए है।

एनडीटीवी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि जब तक पेंडिंग अपील प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी नहीं हो जाती हैं, एनडीटीवी के प्रमोटर ग्रुप आरआरपीआर में 99.5 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए सेबी की मंजूरी चाहिए होगी। इसकी वजह ये है कि इस अधिग्रहण से एनडीटीवी के इश्यूड शेयर कैपिटल का 29.18 फीसदी भी अडाणी ग्रुप को मिल जाएगा जिस पर अभी सेबी की रोक है।

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