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विदेशी मुद्रा भंडार में फिर हुई गिरावट, जानिए क्यों है चिंता का विषय

इंडिया न्यूज, Business News (Foreign Exchange Reserves): भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से बड़ी गिरावट आई है। 8 जुलाई को खत्म सप्ताह में यह 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। यह आंकड़े आरबीआई ने जारी किए हैं। विदेशी मुद्रा भंडार घटने का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा एसेट्स का घटना है। आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जुलाई 2022 को खत्म हुए हफ्ते के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया था।

बताया गया है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है।

गोल्ड रिजर्व में 1.236 अरब डॉलर की कमी

आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व भी 1.236 अरब डॉलर कम हुआ है। इस कमी के बाद देश में गोल्ड रिजर्व 39.186 अरब डॉलर बचा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 12.2 करोड़ डॉलर घटकर 18.012 अरब डॉलर बचा है। वहीं आईएमएफ में रखा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.9 करोड़ डॉलर घटकर 4.966 अरब डॉलर बचा है।

विदेशी मुद्रा मामले में दुनिया के टॉप 5 देश

  • चीन 3.24 ट्रिलियन डॉलर
  • जापान 1.31 ट्रिलियन डॉलर
  • स्विटरलैंड 1.03 ट्रिलियन डॉलर
  • भारत 580,252 बिलियन डॉलर
  • रूस 572,700 बिलियन डॉलर

विदेशी मुद्रा भंडार घटने का असर

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने का सबसे पहला असर रुपये पर पड़ता है। जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हाल के दिनों में ऐसा ही कुछ हो रहा है। 2 दिन पहले रुपया डालर के मुकाबले 80 रुपए हो गया था। वहीं शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार क्यों जरूरी

बता दें कि हर देश के पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार का होना बहुत जरूरी होता है। इससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं।

अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है। विदेशी मुद्रा भंडार में निर्यात के अलावा विदेशी निवेश से डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा आती है। इसके अलावा भारत लोग जो विदेश में काम करते हैं, उनकी तरफ से भेजी गई विदेशी मुद्रा भी बड़ा स्रोत होती है। इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार का ज्यादा से ज्यादा होना अच्छा माना जाता है।

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