इंडिया न्यूज, Business News (FPI Withdrawal Slowed Down): भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की बिकवाली पिछले 9 महीने से जारी है। जुलाई के पहले 15 दिन भी एफपीआई ने निकासी की है। हालांकि इस महीने एफपीआई की निकासी की रफ्तार कम हुई है। इससे लग रहा है कि बाजार में एफपीआई निकासी का ट्रेंड बदल रहा है।
एनएसडीएल की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 1-15 जुलाई से घरेलू शेयर बाजार से एफपीआई ने 7,432 करोड़ रुपये निकासी की है। जबकि इस अवधि में पिछले महीने यानि कि 1 से 18 जून के बीच एफपीआई ने बाजार से 31,430 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की थी।
वहीं, पूरे जून महीने में एफपीआई ने रिकॉर्ड 50,203 करोड़ रुपए की निकासी की थी जोकि साल 2022 अब तक के महीनों में सबसे अधिक आंकड़ा हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले महीने की तुलना में इस बार काफी कम पूंजी निकासी हुई है। दो सप्ताह बीत गए हैं और अभी तक एफपीआई की बिकवाली का आंकड़ा 10 हजार करोड़ रुपए के नीचे ही है।
वैसे तो एफपीआई पिछले 9 महीने से बिकवाल बने हुए हैं। लेकिन एफपीआई ने सबसे ज्यादा पैसा बीते जून के महीने में बाजार से निकाला है। रिपोर्ट के मुताबिक जून में एफपीआई की इक्विटी बाजार से कुल निकासी 50,203 करोड़ रुपए की रही। इससे पहले अप्रैल-जून 2020 की अवधि से भारतीय इक्विटी में एफपीआई की निकासी 1,07,340 करोड़ रुपए थी। 2022 की पहली छमाही की बात करें तो इस दौरान एफपीआई ने बाजार से लगभग 2,17,358 करोड़ रुपए की राशि निकाली है।
एफपीआई ने इस साल अब तक 2,24,790 करोड़ की भारी निकासी की है। यह पूरे भारतीय बाजार में कुल बिकवाली का लगभग 95 प्रतिशत है। वहीं इक्विटी, डेट-वीआरआर, डेट और हाइब्रिड सहित भारतीय बाजार में विदेशी फंड की निकासी लगभग 2,36,672 करोड़ रुपए की है।
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एफपीआई की निकासी की रफ्तार कम होने पर जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और एफआईआई की बिक्री में कमी ने घरेलू बाजार माहौल को थोड़ा पॉजिटीव किया है। हालांकि बाजार में फिर से अस्थिरता उभरी है। अमेरिकी मुद्रास्फीति में इजाफे को देखते हुए निवेशकों ने आगामी फेड नीति पर अपना ध्यान केंद्रित किया है।
बता दें कि बीते सप्ताह बीएसई का सेंसेक्स 721.06 अंक या 1.32 फीसदी गिरा है। वहीं निफ्टी में भी 1 फीसदी की गिरावट आई है। सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों में से 6 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण यानि मार्केट कैपिटल में 1,68,260.37 करोड़ रुपए की गिरावट आई है। सबसे अधिक नुकसान आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को हुआ है। वहीं हिन्दुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार हैसियत में उछाल आया है।
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