इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भारतीय बाजारों से निकासी लगातार जारी है। एक तरफ ग्लोबल लेवल पर ब्याज दरों में इजाफा हो रहा है, दूसरी ओर चीन में फिर से कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच विदेशी निवेशकों में भय का माहौल है। इसी कारण मई के पहले 15 दिन में में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 25,200 करोड़ रुपये की निकासी की है।
डिपॉजिटरी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2 से 13 मई के दौरान एफपीआई ने शेयरों से करीब 25,216 करोड़ रुपये की निकासी की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अप्रैल, 2022 तक लगातार 7 माह बिकवाली करते रहे और इस दौरान उन्होंने भारतीय शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं।
इससे पहले लगातार 6 माह तक बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 7,707 करोड़ रुपये डाले थे। लेकिन इसके बाद 11 से 13 अप्रैल के दौरान कम कारोबारी सत्रों वाले सप्ताह में उनकी निकासी फिर से शुरू हो गई जोकि अब तक जारी है।
2019 के बाद का सबसे निचले स्तर पर एफपीआई की हिस्सेदारी
इस बारे में ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया का कहना है कि आगामी सप्ताहों में भी एफपीआई की निकासी जारी रहने का अनुमान है। इस समय भारतीय शेयरों में एफपीआई की हिस्सेदारी घटकर 19.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो मार्च, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
वहीं कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान का मानना है कि शेयर बाजारों पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, ऊंची मुद्रास्फीति और सख्त मौद्रिक रुख का असर पड़ा है। आने वाले कुछ समय में भी बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद कम है।
रेपो रेट में हुई बढ़ोतरी
गौरतलब है कि बीती 4 मई को रिजर्व बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के रेपो दर को 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत किया था। इसके अलावा आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने भी ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की है।