इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
तेजी से बढ़ रही महंगाई और ऊंची उधारी लागत होने के बावजूद भारतीय उद्योग जगत की निवेश योजनाओं में कोई कमी नहीं आई है। इससे साफ संकेत मिलता है कि एशिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी जल्द ही गति पकड़ने वाली है। यह कहना है स्टेट बैंक आफ इंडिया के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा का। दिनेश कुमार ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2 साल लगातार क्रेडिट में सुस्ती के बाद आगे लोन ग्रोथ मजबूत रहने का अनुमान है। कंपनियां लगातार 71 अरब डॉलर की लोन पाइपलाइन का फायदा उठा रही हैं।

देश के सबसे बड़े और 216 साल पुराने लेंडर के प्रमुख ने कहा कि मोटे तौर पर ट्रेंड्स से भारत के 120 लाख करोड़ के बैंकिंग सिस्टम में लोन की ग्रोथ 3 साल में सबसे ज्यादा रहने वाली है। दिनेश खारा ने कहा कि चाहे वर्किंग कैपिटल लोन हों या टर्म लोन हों, मांग बढ़ रही है। आयरन और स्टील जैसे सेक्टर्स में कैपेसिटी उपयोग 100 प्रतिशत बना हुआ है। इसलिए यदि इस साल मानसून अच्छा रहता है तो हालात और बेहतर रहेंगे।

उन्होंने बताया कि ससे इंटरेस्टिंग बात यह है कि फंड्स की लागत बढ़ने के बावजूद भारत में बिजनेस कॉन्फिडेंस और क्रेडिट डिमांड बढ़ी है। दरअसल, 8 जून को रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी थी।

कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो बढ़ाने की जरूरत

लोन की मांग बढ़ने से अभिप्राय है कि एसबीआई को अपना कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो बढ़ाना होगा, जो 2 फीसदी की न्यूनतम नियामकीय जरूरत से कम है। खारा ने कहा कि बैंक का कुल कैपिटल बफर 13.8 फीसदी के स्तर पर है, जो देश के टॉप लेंडर्स में सबसे कम है। कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए रइक बॉन्ड बेचेगी।

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