इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Now The Unique Code Of The House Will Be Like Aadhaar: आप जब भी कोई फार्म भरते हैं तो उसमें अपने परिचय के साथ घर का पता में गली, मोहल्ला, लैंडमार्क, गांव-टोला, शहर, राज्य, पिन कोड आदि सारा कुछ लिखना पड़ता है।
चिटिठियों का तो अब उतना चलन नहीं रह गया है, लेकिन एडमिट कार्ड, आफिशियल लेटर, जॉब संबंधित कॉल लेटर, शादी के कार्ड वगैरह आनलाइन के अलावा अब भी डाक से आते हैं।
वहीं, आनलाइन शॉपिंग में डिलीवरी के लिए सही पता का होना जरूरी होता है। लेकिन अब आपको अपना पता लिखने के बजाय जल्द ही आनलाइन डिलिवरी से लेकर एड्रेस वेरिफिकेशन तक के लिए बस एक यूनीक कोड देना होगा।
अब आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि मोदी सरकार जल्द ही देश के सभी पतों के लिए आधार जैसा यूनीक कोड जारी करने जा रही है।
आपके पते का ये यूनीक कोड डिजिटल एड्रेस कोड (डीएसी) कहलाएगा। बता दें कि जिस तरह आपकी पहचान के लिए आधार कार्ड है, यूनीक आधार नंबर है, उसी तरह आपके मकान की भी यूनीक आईडी होगी। हर राज्य के हर गांव-शहर के हर टोले-मोहल्ले में स्थित हर भवन का एक डिजिटल कोड होगा।
संभावना है कि यह डिजिटल कोड पिन कोड की जगह ले लेगा। सरकार इसके लिए देश के हर पते को वेरिफाई करके उसके लिए एक यूनीक कोड जारी करेगी, जो उसके पते की जगह आनलाइन डिलिवरी से लेकर उस व्यक्ति के एड्रेस वेरिफिकेशन तक हर चीज में उसके ई-पते के तौर पर काम करेगा।
भारत सरकार का डाक विभाग डिजिटल एड्रेस कोड (डीएसी) बनाने की दिशा में काम कर रहा है। डाक विभाग ने हाल ही में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डिजिटल एड्रेस के प्रस्ताव पर सभी स्टेकहोल्डर्स के फीडबैक और सुझाव मांगते हुए एक ड्राफ्ट रिसर्च पेपर जारी किया था।
फीडबैक देने की समय सीमा 20 नवंबर को समाप्त हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही डिजिटल एड्रेस को लेकर कोई घोषणा कर सकती है।
इस बारे में डाक विभाग ने बताया है। आमतौर पर आधार को एड्रेस प्रूफ के तौर पर यूज किया जाता है, लेकिन आधार पर दर्ज एड्रेस को डिजिटली प्रमाणित नहीं किया जा सकता है।
वर्तमान में सभी एड्रेस प्रूफ डॉक्यूमेंट्स के साथ यही कमी है। किसी भी एड्रेस को डिजिटली प्रमाणित करने के लिए उस एड्रेस को डिजिटल लोकेशन (जियोस्पेशल कोआर्डिनेट्स या भू-स्थानिक निदेर्शांक) से लिंक होना चाहिए। ऐसा होने पर डिजिटल एड्रेस आइडेंटिटी को एड्रेस के आनलाइन आथेन्टिकेशन के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
सटीक पता तक पहुंचाने में मुश्किल: आनलाइन बिजनेस ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी हुई है और आनलाइन खरीदारी भी बढ़ी है, लेकिन डिलीवरी के लिए किसी एड्रेस या स्थान तक पहुंचना बहुत ही कठिन काम है।
आधार बस एड्रेस प्रूफ: आधार का उपयोग आमतौर पर एड्रेस प्रूफ के लिए किया जाता है, लेकिन आधार कार्ड में मौजूद पते को डिजिटली प्रमाणित नहीं किया जा सकता है।
नकली पते से फ्रॉड: अभी फेक एड्रेस का यूज करके ई-कॉमर्स ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी होती है। एड्रेस के डिजिटली लिंक्ड होने से उन्हें आनलाइन प्रमाणित किया जा सकेगा, जिससे फ्रॉड रुकेंगे।
यूनीक होगा पता: बहुत लंबे-चौड़े एड्रेस हमेशा यूनीक नहीं होते हैं, और ऐसे स्थानों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
एक स्वतंत्र घर एक डिजिटल एड्रेस कोड (डीएसी) के साथ एक एड्रेस होगा। अगर घर का दो हिस्सों में बंटवारा हुआ है, तो ऐसे में उसके लिए एक अलग एड्रेस के साथ ही अलग डीएसी जारी होगा। एक अपार्टमेंट बिल्डिंग में, हर व्यक्ति को एक डिजिटल एड्रेस कोड अलॉट होगा, जो अपार्टमेंट बिल्डिंग या ब्लॉक की एंट्री के जियोस्पेशल कोआर्डिनेट्स से लिंक्ड होंगी।
कोई भी कॉपोर्रेट आफिस या एक सरकारी आफिस कॉम्पलेक्स की भी अलग-अलग डिजिटल एड्रेस कोड होगा, जो उस बिल्डिंग के जियोस्पेशल कोआर्डिनेट्स से लिंक होगी जिसमें वह आफिस स्थित है। डिजिटल एड्रेस कोड हर एड्रेस के लिए स्थाई होगा। यदि एड्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रॉपर्टी कई एड्रेस में बदल जाती है तो हर नए एड्रेस को एक नया डीएसी अलॉट होगा।
डाक विभाग के मुताबिक भारत में करीब 35 करोड़ घर हैं। अगर इसमें सभी बिजनेस और गैर-आवासीय लोकेशन को भी जोड़ दिया जाए तो देश में कुल पतों की संख्या करीब 75 करोड़ हो सकती है। शुरू में 11 डिजिट+1 चेक डिजिट, यानी कुल 12 डिजिट का डिजिटल एड्रेस कोड जारी करने का प्रस्ताव है। इससे जरूरत पड़ने पर करीब 100 करोड़ पतों को कवर किया जा सकता है।
प्रस्तावित डिजिटल एड्रेस कोर्ड जियोस्पेशल कोआर्डिनेट्स से लिंक्ड होगा। इससे एड्रेस का आनलाइन आथेन्टिकेशन किया जा सकेगा। इससे बैंकिंग, इंश्योरेंस, टेलिकॉम आदि सेक्टर के लिए केवाईसी वेरिफिकेशन प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इससे बिजनेस करने की लागत घटेगी। डीएसी आनलाइन आथेन्टिकेशन के साथ ही आधार आथेन्टिकेशन से डिजिटल ईकेवाई का प्रॉसेस पूरा हो जाएगा।
डीएसी से डिलवरी सर्विसेज, खासतौर पर ई-कॉमर्स क्षेत्र में हाई प्रोडक्टिविटी और सर्विस की क्वॉलिटी बहुत बेहतर हो जाएगी। डीएसी के आने से सभी क्षेत्रों जैसे- प्रॉपर्टी, टैक्सेशन, इमर्जेंसी रिस्पॉन्स, डिजास्टर मैनेजमेंट, इलेक्शन मैनेजमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग और मैनेजमेंट, जनगणना संचालन और शिकायत निवारण में फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव एफिशियंसी बढ़ेगी। डिजिटल एड्रेस कोड से सरकारी योजना का वितरण और उन्हें लागू करना आसान होगा। डिजिटल एड्रेस कोड से सरकार की वन नेशन वन एड्रेस की योजना को अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है।
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