इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (UPI Fund Transfer): आज हजारों लोग यूपीआई से पेमेंट करते हैं। लेकिन आने वाले दिनों में इन लोगों को झटका लग सकता है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक यूपीआई आधारित फंड ट्रांसफर पर शुल्क लगा सकता है। इस योजना पर आरबीआई गंभीरता से विचार कर रहा है ताकि इसके परिचालन का व्यय वसूला जा सके। इस बारे में आरबीआई ने डिस्कशन पेपर आॅन चार्जेस इन पेमेंट सिस्टम जारी किया है और शुल्क को लेकर लोगों से सलाह मांगी है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि आपरेटर के रूप में उन्हें यानि आरबीआई को आरटीजीएस में बड़े निवेश और आपरेटिंग कॉस्ट की भरपाई करनी है। आरटीजीएस मुख्य रूप से बड़े लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से बैंकों और बड़े संस्थानों/व्यापारियों द्वारा किया जाता है।
आरबीआई के मुताबिक इसमें सार्वजनिक धन लगा है ऐसे लागत निकाली जानी जरूरी है। हालांकि आरबीआई ने कहा है कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) में लगाया गया शुल्क कमाई का साधन नहीं है। बल्कि इस शुल्क से सिस्टम पर होने वाले खर्च को निकाला जाएगा जिससे ये सुविधा बिना किसी रुकावट के जारी रहे।
रिजर्व बैंक ने ये दिए तर्क
आरबीआई की ओर से जारी पेपर के मुताबिक यूपीआई पैसों के रियल टाइम ट्रांसफर को सुनिश्चित करता है। वहीं यह रियल टाइम सेटलमेंट को भी सुनिश्चित करता है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक इस सेटलमेंट और फंड ट्रांसफर को बिना किसी जोखिम के सुनिश्चित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की जरूरत होती है जिसमें काफी खर्च आता है। रिजर्व बैंक के मुताबिक ऐसे सवाल उठता है कि फ्री सर्विस की स्थिति में इतने महंगे इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने और उसको लागू करने का भारी भरकम खर्च कौन उठाएगा।
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