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आफर लेटर लेने के बाद ज्वाइनिंग से किया मना, इस कंपनी के को-फाउंडर को आया गुस्सा

इंडिया न्यूज, Refused to Join After Offer Letter: कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि किसी भी कंपनी में इंटरव्यू और टेस्ट पास करने के बाद कैंडिडेट को ज्वाइनिंग लेटर दिया जाता है और एक तय तिथि पर उसे ज्वाइन करने के लिए बोला जाता है। लेकिन हायरिंग प्रोसेस की लंबी प्रक्रिया पूरी होने के बाद यानी जब कैंडिडेट को आफिस ज्वाइन करना होता है लेकिन ऐन मौके पर वह कोई एक्सक्यूज देते हुए कंपनी को ज्वाइन करने से मना कर देता है। इससे कंपनी का न केवल समय का नुकसान होता है बल्कि फिर से सारी प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है।

ऐसे ही एक केस हुआ है EaseMyTrip के साथ। यहां ज्वाइनिंग लेटर मिलने के काफी समय बाद कर्मचारी ने ज्वाइन करने से मना कर दिया। इस पर कंपनी के को-फाउंडर भड़क गए और उन्होंने इसका गुस्सा ट्विटर पर निकाला है। उनके इस पोस्ट पर यूजर्स ने कई दिलचस्प जवाब भी दिए हैं और उन्हें इस समस्या से निपटने का तरीका बताया है।

क्या लिखा इज माय ट्रिप के को फाउंडर प्रशांत पिट्टी ने

दरअसल, इज माय ट्रिप के को फाउंडर प्रशांत पिट्टी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर व्हाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया और लिखा कि उनकी कंपनी में एक कैंडिडेट की सिलेक्शन हुई थी। लेकिन ज्वाइनिंग के समय उसने किसी दूसरी कंपनी में बेहतर मौका मिलने की बात कहकर इज माय ट्रिप में ज्वाइन करने से मन कर दिया।

प्रशांत पिट्टी ने लिखा कि किसी उम्मीदवार की बहाली प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। आफर लेटर जारी करने के बाद कंपनी कई दिनों या कुछ मामलों में कई महीनों तक इंतजार करती है। उसके बाद भी अगर कोई ज्वाइन ना करे तो यह दुखद है। उन्होंने लिखा कि अगर कोई व्यक्ति लंबे इंतजार के बाद ज्वाइन करने से मना कर देता है तो पूरी प्रकिया में लगने वाला समय और संसाधन बेकार हो जाते हैं। क्या कोई इस समस्या का समाधान बता सकता है।

भारत पे के कोफाउंडर अशनीर ग्रोवर ने किया रिप्लाई

प्रशांत पुट्टी के ट्वीट पर कई लोगों ने रिप्लाई किया है। भारत पे के कोफाउंडर अशनीर ग्रोवर ने भी रिप्लाई किया है। उन्होंने लिखा कि भारत में कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू नहीं है। यहां लोग एक हाथ ले और दूसरे हाथ दे पर भरोसा करते हैं।
वहीं लोगों ने उन्हें इससे निपटने का एक दिलचस्प तरीका भी बताया जो ऐसी ही समस्या से जूझ रहे क्रेड कंपनी के फाउंडर कुणाल शाह ने अपनाया था।

दरअसल कुणाल शाह इस समस्या को खत्म करने के लिए उम्मीदवार को आफर लेटर के साथ मैकबुक देने का प्लान किया था। इसके बाद उनकी कंपनी में आफर लेटर लेने वाले 99 प्रतिशत लोगों ने ज्वाइन कर लिया।

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