इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Restrictions on the Export of Rice): भारत में चावल की बढ़ती कीमतों पर कंट्रोल करने के लिए सरकार प्रयासरत्त है। इसी कड़ी में अब सरकार ने कई किस्म के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं ओर कई किस्म के चावलों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। दरअसल, सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है, जोकि आज से ही लागू होगा। इससे पहले टूटे चावल के निर्यात पर किसी तरह का शुल्क नहीं लगता था।
वहीं सरकार की ओर से जारी आदेश के तहत गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क वसूला जाएगा। यह आदेश भी आज से लागू होगा। हालांकि, उबले और बासमती चावल के निर्यात को इस प्रतिबंध से बाहर रखा गया है।सरकार के इन फैसलों से उम्मीद है कि चावल की घरेलू सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आ सकती है।
ये कदम सरकार ने मानसून की अनियमित बारिश के बुवाई पर असर को देखते हुए उठाया है। कोविड के बाद खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के बीच चावल की कीमतों में ही स्थिरता देखने को मिली थी हालांकि अब इसमें बढ़त देखने को मिल रही है। सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में चावल की सप्लाई बढ़ जाएगी जिससे कीमतों में उछाल घटने का अनुमान है। जानना जरूरी है कि भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वैश्विक चावल उत्पादन में भारत की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इस साल भारत में मानसून की बारिश अनियमित हुई है। देश के कई राज्यों में कम बारिश हुई है। इससे चावल की बुवाई पर विपरित असर पड़ा है। चालू खरीफ वर्ष में चावल की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले 6 प्रतिशत तक घट गया है। इससे उत्पादन भी घटने का अनुमान है। भारत ने साल 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था।
राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि मौजूदा खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा काफी घट गया है। इसलिए घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, कुछ राज्यों में बारिश कम होने से मौजूदा खरीफ सीजन में अब तक धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 फीसदी घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40% है। भारत ने 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल निर्यात किया था। इस दौरान 150 से अधिक देशों को 6.11 अरब डॉलर का गैर-बासमती चावल निर्यात किया गया था।
बता दें कि चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने से दुनियाभर पर इसका असर पड़ेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस यूक्रेन संकट के साथ बदलते मौसम की मार से दुनिया भर में खाद्यान्न उत्पादन पर असर पड़ा है। जिससे कीमतों में तेज उछाल का रुख है। वहीं भारत द्वारा विश्व में सप्लाई घटाने से चावल की कीमतों में उछाल देखने को मिलेगा।
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