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शुरूआती कारोबार में 5 पैसे मजबूत हुआ रुपया

इंडिया न्यूज, Business News (Rupee Strengthens): हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन डॉलर के मुकाबले रुपया आज मजबूती के साथ खुला। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 5 पैसे मजबूत होकर 79.55 रुपये के स्तर पर खुला। इससे पहले बीते दिन मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की कमजोरी के साथ 79.60 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। बता दें कि रुपया जब भी कमजोर होता है तो इससे आयात महंगा हो जाता है। वहीं जब डॉलर रुपया के मुकाबले कमजोर होता है तो इससे राहत मिलती है और आयात खर्च कम होता है।

पिछले 5 दिनों में रुपये का हाल

बीते दिन मंगलवार को रुपया में डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की कमजोरी आई, जिसके बाद यह के साथ 79.60 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। वहीं हफ्ते के पहले दिन सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 19 पैसे कमजोर हुआ था और यह 79.44 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। इससे पहलेशुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे की कमजोरी के साथ 79.25 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

वीरवार को रुपया में 13 पैसे की मजबूती आई थी और बुधवार के मुकाबले 79.17 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। जबकि बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की मजबूती के साथ 79.30 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
शेयर बाजार में तेजी

उल्लेखनीय है कि आज शेयर बाजार में शुरूआती कारोबार के दौरान तेजी आई थी लेकिन बाद में ये तेजी कम हो गई। हालांकि सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही प्रमुख इंडेक्स हरे निशान में हैं। सेंसेक्स 70 अंकों की तेजी के साथ 53950 पर करोबार कर रहा है जबकि निफ्टी 20 अंक मजबूत होकर 16080 पर है।

रुपये की कीमत बढ़ने और घटने का असर

रुपया की कीमत बढ़ने और कम होने से देश के आयात एवं निर्यात पर खासा असर पड़ता है। रुपया की कीमत डॉलर के तुलना में मांग एवं आपूर्ति से तय होती है। दरअसल, हर देश अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाली वस्तुओं का भुगतान करता है। वहीं रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया हर सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े आंकड़े जारी करता है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार कितना बढ़ा या घटा है और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

डॉलर महंगा होने पर क्या असर होता है

डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आॅयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है। वहीं यदि डॉलर सस्ता होता है तो खर्चा कम होता है।

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Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

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