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रुपया 26 पैसे मजबूत, जानिए कितना है एक डॉलर का भाव

इंडिया न्यूज, Rupee Strong : रुपया आज डॉलर के मुकाबले मजबूती के साथ खुला है। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 26 पैसे की मजबूती के साथ 81.60 रुपये के स्तर पर खुला। इससे पहले बीते दिन डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे की मजबूती के साथ 81.86 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

आज आरबीआई ने फिर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। इसके बाद से शेयर बाजार में भी खरीदारी आई है। सेंसेक्स 500 अंकों के उछाल के साथ 56900 पर और निफ्टी 140 अंकों की तेजी के साथ 16960 पर कारोबार कर रहा है। इससे पहले बाजार की शुरूआत आज निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट्स के बीच गिरावट में हुई थी।

जानिए पिछले 5 दिनों के रुपये का क्लोजिंग स्तर

बीते दिन वीरवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे की मजबूती के साथ 81.86 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। वहीं बुधवार को रुपया 36 पैसे की कमजोरी के साथ 81.94 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 4 पैसे की मजबूती के साथ 81.58 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था लेकिन सोमवार को रुपया में भारी कमजोरी आई थी और यह 63 पैसे की कमजोरी के साथ 81.62 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

इससे पहले शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की कमजोरी के साथ 80.99 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले वीरवार को भी डॉलर के मुकाबले रुपया 89 पैसे की कमजोरी के साथ 80.89 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की कमजोरी के साथ 79.97 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।

कैसे तय होते हैं रुपये के दाम

रुपये के दाम किसी व्यक्ति विशेष के हाथ में नहीं होता है। यह लोगों की मांग पर निर्भर करत है। इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव, देश का विदेशी मुद्रा भंडार, देश की अर्थव्यवस्था का असर होता है। यानि कि रुपए की कीमत इसकी खरीद-फरोख्त पर निर्भर करती है। रुपए की मांग जितनी ज्यादा होती है, इसके दाम डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत उतने ही अधिक होंगे लेकिन यदि रुपए की मांग कम होगी तो डॉलर की तुलना में इसकी कीमत कम हो जाएगी।

डॉलर महंगा होने पर क्या असर होता है

डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है। वहीं यदि डॉलर सस्ता होता है तो खर्चा कम होता है। इससे राहत मिलती है। प्रतिदिन डॉलर में उतार चढ़ाव के कारण रुपये की स्थिति बदलती रहती है।

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