इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Rupee Weakens): विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की मजबूती के कारण रुपया फिर से कमजोर हुआ है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे की कमजोरी के साथ 79.58 रुपये के स्तर पर खुला। जबकि इससे पहले बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की मजबूती के साथ 79.44 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। जब भी रुपया मजबूत होता है तो यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए काफी अच्छा संकेत माना जाता है।
हालांकि अर्थव्यवस्था के लिए और भी कई सारे फैक्टर्स मायने रखते हैं। लेकिन रुपया और डॉलर की बात करें तो डॉलर महंगा होने से आयात शुल्क बढ़ जाता है, इससे अतिरिक्त भार पड़ता है। इसलिए आरबीआई हमेशा रुपये को मजबूत करने के लिए समय समय पर कई ठोस कदम उठाता है। वहीं दूसरी ओर आज शेयर बाजार में भी कई दिन से चल रही तेजी पर ब्रेक लगा है। सेंसेक्स 200 से ज्यादा अंक टूटा है और निफ्टी भी 70 अंक गिरकर 17873 पर कारोबार कर रहा है।
गौरतबल है कि बीते दिन बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की मजबूती के साथ 79.44 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले शुक्रवार को कारोबार हुआ था, जब रुपया 2 पैसे की कमजोरी के साथ 79.66 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
वीवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 12 पैसे की कमजोरी आई थी और यह 79.64 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे की मजबूती के साथ 79.52 रुपये के स्तर पर बंद हुआ और पिछले सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 35 पैसे की कमजोरी के साथ 79.66 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है।
भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है। वहीं यदि डॉलर सस्ता होता है तो खर्चा कम होता है। इससे राहत मिलती है। प्रतिदिन डॉलर में उतार चढ़ाव के कारण रुपये की स्थिति बदलती रहती है।
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रुपया के दाम किसी व्यक्ति विशेष के हाथ में नहीं होता है। यह लोगों की मांग पर निर्भर करत है। इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव, देश का विदेशी मुद्रा भंडार, देश की अर्थव्यवस्था का असर होता है। यानि कि रुपए की कीमत इसकी खरीद-फरोख्त पर निर्भर करती है। रुपए की मांग जितनी ज्यादा होती है, इसके दाम डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत उतने ही अधिक होंगे लेकिन यदि रुपए की मांग कम होगी तो डॉलर की तुलना में इसकी कीमत कम हो जाएगी।
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