इंडिया न्यूज, Rupee weakens : रुपया आज फिर से डॉलर के मुकाबले कमजोरी के साथ खुला है। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया रुपया 32 पैसे की कमजोरी के साथ 81.91 रुपये के स्तर पर खुला जबकि बीते दिन मंगलवार को रुपया 4 पैसे की मजबूत होकर 81.58 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
अमेरिका में फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद से रुपये में गिरावट हो रही है। हालांकि आरबीआई और सरकार भी रुपये को संभालने के लिए प्रयास कर रहे हैं। गौरतलब है कि आज लगातार छठे कारोबारी दिन शेयर बाजार में गिरावट आई है। खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी धड़ाम हो गए। हालांकि अभी कुछ रिकवरी जरूर हुई है और सेंसेक्स में 40 अंकों का उछाल आ गया है।
आखिरी पिछले 5 दिनों में कैसा रहा रुपये का क्लोजिंग लेवल
बीते दिन मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 4 पैसे की मजबूती के साथ 81.58 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था लेकिन सोमवार को रुपया में भारी कमजोरी आई थी और यह 63 पैसे की कमजोरी के साथ 81.62 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
इससे पहले शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की कमजोरी के साथ 80.99 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले वीरवार को भी डॉलर के मुकाबले रुपया 89 पैसे की कमजोरी के साथ 80.89 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की कमजोरी के साथ 79.97 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
डॉलर महंगा होने पर क्या असर होता है
डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है। वहीं यदि डॉलर सस्ता होता है तो खर्चा कम होता है। इससे राहत मिलती है। प्रतिदिन डॉलर में उतार चढ़ाव के कारण रुपये की स्थिति बदलती रहती है।
कैसे तय होते हैं रुपये के दाम
रुपये के दाम किसी व्यक्ति विशेष के हाथ में नहीं होता है। यह लोगों की मांग पर निर्भर करत है। इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव, देश का विदेशी मुद्रा भंडार, देश की अर्थव्यवस्था का असर होता है। यानि कि रुपए की कीमत इसकी खरीद-फरोख्त पर निर्भर करती है। रुपए की मांग जितनी ज्यादा होती है, इसके दाम डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत उतने ही अधिक होंगे लेकिन यदि रुपए की मांग कम होगी तो डॉलर की तुलना में इसकी कीमत कम हो जाएगी।
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