इंडिया न्यूज, RBI News (Rupees Vs Dollar): डॉलर के मुकाबले लगातार गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई की ओर से कई ठोस कदम उठाए गए हैं। इसी के चलते रुपये में रिकवरी देखी जा रही है। यह कहना है आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ का। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने के उठाए कदमों का विदेशी इनफ्लो पर सकारात्मक असर होगा।
अत: शार्ट टर्म में ग्लोबल चुनौतियां कम होने की उम्मीद है। सरकार पहले क्रूड आॅयल की कीमतों का ट्रेंड देखेगी, इसके बाद ही विंडफाल टैक्स पर पर फैसला लिया जाएगा। अजय सेठ ने कहा कि केंद्रीय बैंक महंगाई को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। अत: ऐसा कोई जरूरी नहीं है कि इससे चलते मंदी आए। हालांकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती स्वाभाविक है।
क्या उपाय किए आरबीआई ने
डॉलर के मुकाबले रुपया 79 रुपए से भी निचले स्तर पर चला गया था। लगातार गिरते रुपये को थामने के लिए RBI ने कई कदम उठाए हैं।
- विदेशी निवेशकों की भागीदरी और NRI डिपॉजिट को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- आटोमैटिक रूट के जरिए ECB लिमिट सालाना 750 मिलियन डॉलर से 1.5 बिलियन डॉलर किया है।
- Foreign Currency Non-Residents, Non-Residents deposit के लिए बैंकों को CRR और SLR में छूट दी गई है। FPIs को 7 और 14 साल के सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश की छूट है। अब तक सिर्फ 5 साल, 10 साल और 30 साल के G-Secs के लिए ही मंजूरी थी।
आज 23 पैसे मजबूती के साथ खुला रुपया
गौरतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 79 रुपए से भी काफी नीचे चला गया था। इस साल अब तक 6.2 प्रतिशत नीचे है। एक हफ्ते में अबतक 0.55% कमजोर हो चुका है। हालांकि, रिकॉर्ड निचले स्तर से रुपए में रिकवरी देखी जा रही है। बीते 2 दिनों में रुपया मजबूत हुआ है। आज भी रुपया डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की मजबूती के साथ 79.07 रुपये के स्तर पर खुला। इससे पहले बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 7 पैसे की मजबूती के साथ 79.30 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
रुपये में कमजोरी का कारण
रुपया में कमजोरी के कई कारण हैं। एक तो डॉलर इंडेक्स 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। यह एक साल में 16 प्रतिशत ऊपर 107 के पार निकल गया है। डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण सभी करेंसीज गिरी हैं। अधिकतर करेंसीज महीनेभर मे 2-17% गिरी है।
वहीं भारत का ट्रेड डेफिसिट 26 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर है। 24 जून तक भारत का फॉरेक्स रिजर्व 593 बिलियन डॉलर के पास था। इस साल अब तक ऋकक२ की ओर से 2.87 लाख करोड की निकासी की जा चुकी है, जोकि रुपये के गिरने का अहम कारण हैं। इसके अलावा ग्लोबल आर्थिक मंदी गहराने और बढती महंगाई की चिंता भी है।
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