इंडिया न्यूज, Business News (Stock Market Closing 14 July): कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच आज भारतीय शेयर बाजार भी गिरावट में बंद हुआ है। घरेलू बाजार की शुरूआत आज हरे निशान में हुई थी। लेकिन ये तेजी ज्यादा देर तक कायम न रह सकी। अत: सेंसेक्स 98 अंक की गिरावट के साथ 53,416 पर और निफ्टी 28 पॉइंट की गिरावट के साथ 15,938 पर बंद हुआ। आज कारोबार के दौरान 1395 शेयरों में खरीदारी देखने को मिली तो 1920 शेयरों में बिकवाली का दौर देखने को मिला। वहीं 147 शेयरों के भाव स्थिर बने रहे।
सेंसेक्स के 15 और निफ्टी के 30 शेयरों में गिरावट
सेंसेक्स के आज 30 में से 15 शेयर गिरावट में और 15 शेयर हरे निशान में बंद हुए हैं। जबकि निफ्टी के 50 में से 30 शेयरों में गिरावट आई है और 19 शेयर हरे निशान में बंद हुए हैं। एक शेयर हिन्दूस्तान यूनीलीवर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सेंसेक्स पर सनफार्मा, टाइटन, डॉ रेड्डी, रिलायंस, अल्ट्रा टेक सीमेंट, एचडीएफसी बढ़त में रहे।
इंडेक्स में मिला जुला असर
इंडेक्स में आज मिला जुला असर देखने को मिला है। बैंक शेयरों पर काफी दबाव रहा। निफ्टी पर पीएसयू बैंक इंडेक्स में लगभग 2 फीसदी गिरकर बंद हुआ है। निफ्टी बैंक इंडेक्स भी लाल निशान में है। वहीं आईटी इंडेक्स में 1.5 फीसदी की गिरावट रही। इनके अलावा फाइनेंशियल, मेटल, एफएमसीजी और रियल्टी इंडेक्स भी गिरावट में बंद हुए हैं जबकि इसके उल्ट आज आटो और फार्मा इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए हैं।
थोक महंगाई दर घटकर 13 फीसदी पर आने का अनुान
जुलाई 2022 में थोक महंगाई दर घटकर 13 फीसदी पर आ सकती है। यह जानकारी भारतीय रेटिंग एजेंसी इक्रा की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर ने दी है। उनके मुताबिक जून 2022 में मिनरल्स और बेसिक मेटल्स की कीमतों में अच्छा करेक्शन हो चुका है। वहीं विश्व में मंदी की आशंका के कारण कमोडिटी की कीमतों में गिरावट हो रही है।
अमेरिका में महंगाई 41 साल के उच्चतम स्तर पर
अमेरिका में गैस, भोजन और किराए की बढ़ती कीमतों ने मुद्रास्फीति को 4 दशक के नए शिखर पर पहुंचा दिया है। बुधवार को अमेरिका में जून महीने के महंगाई के आकड़े जारी किए गए। इनके मुताबिक अमेरिका में जून महीने में महंगाई की दर बढ़कर 9.1 फीसदी पर पहुंच गई, जो पिछले 41 सालों में सबसे ज्यादा है। यह साल 1981 के बाद से 12 महीनों में हुई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। महंगाई दर बढ़ने के कारण मंदी की आशंका और तेज हो गई है।
महंगाई की ऐसी ऊंची दर सामने आने के बाद फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक मौद्रिक नीति अपनाई जा सकती है। ऐसा अनुमान है कि इस महीने होने वाली नीतिगत समीक्षा में फेडरल रिजर्व ब्याज दर को फिर से 0.75 फीसदी बढ़ा सकता है। इससे पहले फेडरल रिजर्व ने जून महीने में ब्याज दर को 0.75 फीसदी बढ़ाया था। यह 28 साल के बाद एक बार में ब्याज दर में की गई सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी।
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