Made in India Toys: भारत के लोगों में चाइनीज सामान को लेकर दिलचस्पी अब खत्म होती दिख रही है। इंडियन मार्किट में भारत में बनने वाली चीजें फिर से लौटने लगी हैं। कहा जा रहा है कि भारत ने चाइना सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। मार्केट में चीन का सामान मौजूद तो है, मगर उसके खरीदार कम हो गए हैं। ऐसे में भारत चीन को टक्कर देने के लिए तैयार है।

भारत में चाइनीज खिलौनों को डिमांड घटी

दरअसल, पिछले 3 सालों में भारत में चाइनीज खिलौनों को डिमांड घटी है और भारत में बने खिलौनों की डिमांड बढ़ी है। ‘वोकल फॉर लोकल’ का प्लान खिलौने बाजार की तस्वीर को बदल रहा है। देश की जनता भारत के बने मोटू-पतलू और छोटू भीम, डोरेमॉन, शिनचैन जैसे खिलौने चीन के खिलौनों को टक्कर दें रहा हैं।

टॉय फेयर से हुआ काफी फायदा

मालूम हो कि भारत सरकार ने 2021 में टॉयकैथॉन और टॉय फेयर की शुरुआत की थी। इस फेयर में भारत के खिलौना निर्माताओं को अपने खिलौने पेश करने और उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म देने का मौका मिला था। इस टॉयकैथॉन से भारत में बने खिलौनों को काफी फायदा हुआष। इससे भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में यहां बने खिलौनों की डिमांड हो रही है।

विदेशी कंपनियों की बढ़ी दिलचस्पी

भारत में बन रहे खिलौनों और उसकी बढ़ती डिमांड से अब विदेशी खिलौना कंपनियों ने भी अपना इंटरेस्ट भारत की खिलौना मार्किट में बढ़ा रही हैं। इंटरनेशनल कंपनियां जैसे Hasbro, Lego, Beetle, and Ikea अपने स्थानीय सोर्सिंग को चीन से भारत ले जाने पर सोच रही हैं।

फल-फूल रही भारत की ‘टॉयकॉनॉमी’

बता दें 3-4 साल पहले भारत खिलौने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। इंडियन खिलौना मार्केट में चाइना का दबदबा था। इस दौरान भारत में 80% से ज्यादा खिलौने चीन से आया करते थे। मगर अब इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। भारत सरकार का वोकल फॉर लोकल का आह्वान भारत के खिलौना क्षेत्र को बदल रहा है। देश की ‘टॉयकॉनॉमी’ काफी फायदा करा रही है। बता दें  ‘टॉयकॉनॉमी’ का मतलब है खिलौनों से जेनेरेट होने वाली इकॉनमी। दूसरे देशों को देश में बनाए गए खिलौने निर्यात कर रहा है। खिलौने के इम्पोर्ट में 61% की वृबढ़ोतरी देखने को मिली है.

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