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एफपीआई निकासी की रफ्तार हुई धीमी, जानिए कैसा रहेगा आने वाला सप्ताह

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : July 10, 2022, 2:22 pm IST

इंडिया न्यूज, Business News (FPI Withdrawal): भारतीय शेयर बाजार के लिए पॉजीटिव सेंटीमेंट्स बन रहे हैं। बीते सप्ताह सेंसेक्स की टॉप 10 में से 8 कंपनियों की मार्केट कैपिटल में 1.81 लाख करोड़ का उछाल आया है। वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारतीय शेयर बाजारों से निकासी की रफ्तार कुछ धीमी हुई है। हालांकि एफपीआई की निकासी का सिलसिला जुलाई में भी जारी रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर में मजबूती और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बीच एफपीआई ने जुलाई में 4,000 करोड़ रुपए से अधिक के शेयर बेचे हैं। डिपॉजिटरी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 1 से 8 जुलाई के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 4,096 करोड़ रुपए की निकासी की है।

6 जुलाई को 2,100 करोड़ रुपए की लिवाली

इस साल एफपीआई भारतीय शेयरों से 2.21 लाख करोड़ रुपए निकाल चुके हैं। पिछले कई सप्ताहों से एफपीआई लगातार भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं लेकिन बीती 6 जुलाई को एफपीआई द्वारा 2,100 करोड़ रुपए की लिवाली की गई है। इससे पहले जून में एफपीआई ने 50,203 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे।

यह मार्च, 2020 के बाद सबसे ऊंचा लेवल है। इस समय एफपीआई की निकासी 61,973 करोड़ रुपए रही थी। इससे पहले 2008 के पूरे साल में उन्होंने 52,987 करोड़ रुपए की निकासी की थी। एफपीआई की निकासी की वजह से रुपया भी कमजोर हुआ है। हाल में रुपया 79 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया।

क्या कहना है बाजार विशेषज्ञों का

एफपीआई की निकासी पर मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की शुद्ध निकासी कम रहने का मतलब रुख में कोई बड़ा बदलाव नहीं है। जिन कारणों से एफपीआई निकासी कर रहे थे उनमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है।

एफपीआई पिछले लगातार 9 माह से बिकवाल बने हुए हैं। वहीं ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा कि कच्चे तेल के दाम में कमी आने के बीच मुद्रास्फीति घटने की उम्मीद के चलते बाजार धारणा में सुधार हुआ है। रिजर्व बैंक के रुपये की गिरावट को थामने के प्रयास से भी धारणा बेहतर हुई है।

इस बारे में यस सिक्योरिटीज के प्रमुख विश्लेषक-अंतरराष्ट्रीय शेयर हितेश जैन का कहना है कि यदि ऊंची मुद्रास्फीति को लेकर चीजें दुरुस्त होती हैं, तो ऐसा संभव है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के मोर्चे पर नरमी बरतें। इससे एक बार फिर जोखिम वाली परिसंपत्तियों में निवेश बढ़ेगा। मुद्रास्फीति के हाई लेवल से नीचे आने का स्पष्ट संकेत मिलने के बाद एफपीआई का प्रवाह फिर शुरू होगा।

बीते सप्ताह शेयर बाजार में 3 प्रतिशत की रही तेजी

बता दें कि ग्लोबल लेवल पर कुछ अहम घटनाओं के कारण भारतीय बाजारों में तेजी देखने को मिली है। क्रूड आॅयल की कीमतों में कमजोरी और भारतीय बाजार के प्रति एफआईआई के बदलते रुख के कारण स्टॉक मार्केट को सहारा मिला है।

बीते सप्ताह सेंसेक्स लगभग 3 प्रतिशत की मजबूती के साथ बंद हुआ है। चार जुलाई को सेंसेक्स 52924.10 के लेवल पर खुला था जबकि 8 जुलाई को यह 54481.84 प्वाइंट पर बंद हुआ। इस दौरान निफ्टी इंडेक्स में 482.60 प्वाइंट की तेजी देखने को मिली है। चार जुलाई (सोमवार) को निफ्टी 15741.80 अंक पर खुले थे और 8 जुलाई (शुक्रवार) को बाजार 16220.60 अंक पर बंद हुए हैं।

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