इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
एलआईसी के शेयरों की बाजार में निराशाजनक एंट्री से सरकार सकते में भी है और सतर्क भी। इसी कारण सरकार ने अब एक और सरकारी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला होल्ड कर लिया है। दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है।
पहले सरकार ने अपनी पूरी हिस्सेदारी 52.98 प्रतिशत बेचकर 8 से 10 अरब डॉलर जुटाने की योजना बनाई थी। लेकिन जिस तरह देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के शेयर डिस्काउंट पर लिस्ट हुए और पहले ही 2 दिन में एलआईसी का मार्केट कैप 44 हजार करोड़ रुपए घट गया, इससे निवेशकों के साथ सरकार भी चिंतित है।
यहीं कारण है कि सरकार अब भारत पेट्रोलियम में 20-25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इसी के साथ अब बदली हुई योजना के आधार पर ही बोलियां मंगाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है। इसके लिए बातचीत अभी शुरूआती चरण में है। बीपीसीएल की पूरी हिस्सेदारी बेचने पर पीछे हटना सरकार की निजीकरण योजना में धीमी प्रगति का प्रतीक है।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में बैंकों, खनन कंपनियों और बीमा कंपनियों समेत अधिकांश सरकारी कंपनियों के निजीकरण की योजना की बात कही थी। लेकिन अभी तक ये योजना पूरी नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि सरकार ने 2021 में एलआईसी का आईपीओ लाने की बात कही थी। हजारों निवेशकों को इस आईपीओ का इंतजार था। एक साल के बाद भी एलआईसी आईपीओ के लिए सरकार उचित समय देखती रही। देरी के चलते बाजार की अनिश्चितता के बीच इस आईपीओ को लॉन्च तो कर दिया गया लेकिन इसके शेयर 9 प्रतिशत डिस्काउंट पर लिस्ट हुए। इससे निवेशकों को मायूसी ही हाथ लगी है। एलआईसी शेयर का प्राइस बैंड 949 रुपए था और यह 867 पर लिस्ट हुआ। लिस्टिंग डे पर यह 875 रुपए पर बंद हुआ था।
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