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मुझे एक दिन की हेडलाइंस या एक्टिव राज्यपाल की संज्ञा मत दें, मैं काम पसंद आदमी हूं : राज्यपाल

Sunita • LAST UPDATED : September 11, 2021, 12:14 pm IST


-प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों के मसले पर साफगोई से दिए जवाब
-प्रदेश के इतिहास में पहली बार कोई राज्यपाल मीडिया से रू-ब-रू हुए
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:

ऐसा अमूमन बेहद कम होता है कि किसी भी राज्य के राज्यपाल पत्रकारों से खुलकर बातचीत करें, क्योंकि प्रोटोकॉल संबंधी पेचिदगियां व इनकी अनुपालना आड़े आ जाती हैं। लेकिन कुछ दिग्गज अपवाद भी होते हैं। ऐसा ही कुछ 11 सितंबर, 2021 को हरियाणा के राजभवन में भी हुआ, जब प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने न केवल प्रोटोकॉल को बनाए रखा, बल्कि पत्रकारों के हर सवाल का जवाब साफगोई और बेबाकी से सहज लहजे में दिया। वहीं दूसरी तरफ किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर विवाद जारी है और इनको लेकर किसान पिछले करीब 10 माह से धरने पर बैठे हैं। हर कोई चाहता है कि समाधान हो। इसको लेकर हरियाणा के राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि बातचीत ही समाधान का एकमात्र जरिया है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि कोई राज्यपाल मीडिया से रू-ब-रू हुए हों। इस दौरान किसानों के मुद्दे पर लगातार उनसे सवाल पूछे गए। इसके अलावा उन्होंने राजनीतिक मामलों, मुख्यमंत्री, हरियाणा के लोगों, खेलों और कोरोना समेत तमाम मुद्दों पर हर सवाल का जवाब दिया और उनके व्यवहार का हर कोई कायल दिखा। आगे उन्होंने कहा कि बतौर राज्यपाल उनको बहुत सारे प्रोटोकॉल फॉलो करने होते हैं, लेकिन फिर भी आप पूछ रहे हैं तो बता देता हूं कि सीएम मनोहर लाल हर मुलाकात के दौरान किसानों वाले पूरे मामले की जानकारी लगातार मुझे देते हैं। हर घटनाक्रम पर चर्चा होती है। ज्यादा तो कुछ नहीं कहूंगा लेकिन बता दूं कि केंद्र बातचीत के लिए तैयार है और मामले के समाधान को लेकर पूरी तरह से सकारात्मक है। वे बोले हर कोई चाहता है कि ये गतिरोध टूटे। दोनों पक्षों को बातचीत करनी चाहिए।

प्रोटोकॉल की अनुपालना जरूरी

राज्यपाल से पत्रकारों ने अलग-अलग मुद्दों पर सवाल किए। हालांकि उन्होंने करीब-करीब सभी सवालों के जवाब दिए। लेकिन इक्का-दुक्का सवाल ऐसे थे कि बतौर राज्यपाल उनके आड़े प्रोटोकॉल आए और इनका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ चीजें ऐसी हैं कि संवैधानिक पद पर होने के चलते उनके जवाब देना या चर्चा करना मुनासिब नहीं है। कुछ सीमाएं होती हैं, जिनके बारे में बोलना उचित नहीं है।

एक दिन की हेडलाइन नहीं बनना मुझे

राज्यपाल के साथ बातचीत के दौरान कई बेहद रोचक वाक्यात घटिए हुए। एक पत्रकार ने कोई बात पूछी तो वो बोले कि मुझे एक दिन की हेडलाइन में कोई रुचि नहीं है। जो एक दिन की हेडलाइंस होती है, वो अगले दिन की रेड लाइन होती है। मुझे सुर्खियों में नहीं रहना। मैं काम करने वाला आदमी हूं और इसी में मेरी रुचि है। वहीं एक पत्रकार के अन्य सवाल के जवाब में कहा कि उनको शब्दों में एक्टिव राज्यपाल की संज्ञा या उपाधि न दें तो बेहतर होगा। वो काम से एक्टिव हैं। वहीं ये बता दें कि उन्होंने पत्रकारों के साथ लंच के दौरान काफी वक्त बिताया व पर्सनल केपेसिटी में भी स्पेस देते हुए उनकी बातें ध्यानपूर्वक सुनते हुए तवज्जो दी।

शिक्षा और हेल्थ प्राथमिकता

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा और हेल्थ को आगे बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है। इसके अलावा रोजगार के क्षेत्र में नई संभावनाएं पैदा करनी होंगी। कृषि के क्षेत्र में भी काम किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा महिलाओं के हित व उनके सशक्तिकरण, स्किल डेवेलपमेंट समेत युवाओं को भी तवज्जो मिलनी चाहिए।

विश्वविद्यालयों पर भी फोकस

प्रदेश में 21 स्टेट और 1 सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। इनको लेकर राज्यपाल ने बताया कि वो लगातार विश्वविद्यालयों का दौरा कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, एमडीयू रोहतक और गुरुग्राम में शिक्षण संस्थान परिसरों में जाकर आ चुके हैं। वहां उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली व तमाम पहलुओं को लेकर जानकारी प्राप्त की। आगे कहा कि प्राइवेट विश्वविद्यालयों को सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ कदमताल कर आगे बढ़ना चाहिए।

पत्रकार, अधिकारी भी राज्यपाल के हुए कायल

राजभवन में पहली बार किसी राज्यपाल ने प्रेसवार्ता की। ये लाइन करीब 2 घंटे तक हर पत्रकार की जुबान पर थी और हर किसी ने तहेदिल से राज्यपाल से मुखातिब होते हुए कहा कि वो सब उनके शुक्रगुजार हैं। इससे पहले किसी भी राज्यपाल ने पत्रकारों को इस तरह आमंत्रित नहीं किया था। ये एक नई परम्परा की पहल है और उम्मीद है आगे भी जारी रहेगी। वहीं राज्यपाल ने कहा कि वो भविष्य में बीच-बीच में 3-4 पत्रकारों के समूह से बातचीत करते रहेंगे। इसके अलावा पूरा कार्यक्रम सही तरीके संपन्न होने के बाद अधिकारी भी खुश दिखे। वो खुलकर राज्यपाल की तारीफ में कसीदे पढ़ते दिखे।

राजनीतिज्ञ और राज्यपाल होने में काफी फर्क

एक सवाल के जवाब में राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि एक नेता होना और राज्यपाल होना दोनों अलग-अलग चीजें हैं और दोनों के काम करने में भी काफी फर्क है। मेरा 40 साल का राजनीतिज्ञ करियर रहा है और मैं मंत्री भी रहा हूं, लेकिन उस वक्त चीजें अलग थी। अब राज्यपाल बने 2 साल हो गए हैं और इस संवैधानिक पद के साथ कई जिम्मेदारी और प्रोटोकॉल जुड़े हैं, जिनकी पालना बेहद जरूरी है।
वैक्सीनेशन का काम सही तरीके से चल रहा
घातक कोरोना को लेकरराज्यपाल ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर लगभगे खत्म हो चुकी है और संभावित तीसरी लहर का अंदेशा जताया जा रहा है। बेहद ही खराब दौर से हम गुजरे हैं और हमने काफी कुछ सीखा भी है। बेहतर पक्ष ये है कि वैक्सीनेशन का काम सही तरीके व निर्बाध गति से आगे बढ़ रहा है।
ये रहे उपस्थित
इस मौके पर राज्यपाल के सचिव अतुल द्विवेदी, आईटी सलाहकार भानुशंकर, ज्वाइंट सेक्रेटरी अमरजीत, प्रेस संयुक्त निदेशक नीरजा भल्ला, उप निदेशक सूचना व जनसंपर्क राजभवन सतीश मेहरा भी मौजूद रहे।
ये भी खास रहा
– राज्यपाल ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का निपटान जरूरी है, उनके लिए मकान, स्वास्थ्य सेवा और बच्चों की शिक्षा बेहद जरूरी है।
-हरियाणा के लोग बेहद सीधे-साधे हैं, खेलों में जो हरियाणा ने किया है वो बेहद गौरवान्वित करने वाला है। इसके अलावा यहां के अधिकारीगण भी प्रशंसा के पात्र हैं।
-मुख्यमंत्री मनोहर लाल से निरंतर मुलाकात होती रहती है और परिवार पहचान पत्र योजना एक गेम चेंजर साबित होगी।
-हरियाणा बेहद ही प्रोग्रेसिव व साधन संपन्न राज्य है।
-मेरे पास लोकपाल आर्डिनेंस आया था तो मैंने सरकार को लिखा कि पहले इसको विधानसभा में पास करो, तब मेरे पास भेजो

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