छत्तीसगढ़

Ancient Shiva Temple: घने जंगलों में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर अपने वैभवशाली से बयां करता है अतीत की कहानियां, जानें कहां है ये जगह

India News (इंडिया न्यूज),CG Ancient Shiva Temple: छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले की चिल्फी घाटी में स्थित 9वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बनता जा रहा है। घने जंगलों में स्थित यह धरोहर अपने वैभवशाली अतीत की कहानियां कहती है, लेकिन संरक्षण के अभाव में इसके अवशेष धीरे-धीरे मिट्टी में समा रहे हैं।

9वीं शताब्दी का है यह शिव मंदिर

कबीरधाम जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर चिल्फी घाटी के जंगलों में 9वीं शताब्दी का एक प्राचीन शिव मंदिर प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना हुआ है। दुर्गम रास्तों को पार कर जब इंडिया न्यूज की टीम वहां पहुंची, तो मंदिर के अवशेष अपने वैभवशाली इतिहास की कहानी बयान कर रहे थे। शिवलिंग, नंदी, और खंडित गणेश प्रतिमाएं इस स्थान पर प्राचीन समय में भव्य मंदिर होने का प्रमाण देती हैं।

पत्थरों पर की गई नक्काशी

स्थानीय निवासी हरीश यदु बताते हैं कि उन्होंने और उनके पूर्वजों ने वर्षों से इस स्थान को इसी अवस्था में देखा है। मंदिर के पास एक प्राचीन जलस्रोत भी है, जो तालाब तक पहुंचता है। इसके अलावा, वहां तीन फीट ऊंची गणेश प्रतिमा भी मौजूद है, जिसकी पूजा-अर्चना स्थानीय ग्रामीण समय-समय पर करते हैं। मंदिर परिसर में बिखरे प्राचीन पत्थरों पर की गई नक्काशी इस बात का संकेत देती है कि यहां कभी एक विशाल मंदिर रहा होगा। इन पत्थरों और कलाकृतियों की अनदेखी के कारण वे धीरे-धीरे मिट्टी में धंसते जा रहे हैं। आसपास की जमीन में भी प्राचीन मूर्तियां और शिल्प संरचनाएं दबी हो सकती हैं।

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प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है यह मंदिर

इतिहासकार आदित्य श्रीवास्तव का कहना है कि यह मंदिर भोरमदेव मंदिर के समकालीन या उससे भी पुराना हो सकता है। उनका मानना है कि यह मंदिर 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का है और इसकी संरचनाएं स्थानीय पत्थरों से बनाई गई हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पुरातत्व विभाग को इस क्षेत्र का संरक्षण करते हुए खुदाई करानी चाहिए, जिससे छत्तीसगढ़ के प्राचीन गौरवशाली इतिहास के नए पन्ने खुल सकते हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन से मंदिर के जीर्णोद्धार और वहां तक पहुंचने के लिए एक मार्ग निर्माण की मांग की है। लेकिन उनकी मांगें बार-बार अनसुनी की गईं। ग्रामीणों का कहना है कि देखरेख के अभाव में मंदिर के अवशेष भी धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। चिल्फी घाटी का यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर इसे संरक्षित किया जाए, तो यह धार्मिक आस्था और पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

सुगम मार्ग का निर्माण जरूरी है

इंडिया न्यूज इस प्राचीन धरोहर के संरक्षण और जीर्णोद्धार की मांग का पुरजोर समर्थन करता है। सरकार और प्रशासन को तुरंत इस दिशा में कदम उठाते हुए मंदिर का जीर्णोद्धार कराना चाहिए। साथ ही, वहां तक पहुंचने के लिए सुगम मार्ग का निर्माण करना चाहिए। यह न केवल छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास को संरक्षित करेगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। क्या प्रशासन इस अनमोल धरोहर को बचाने के लिए कदम उठाएगा या यह गौरवशाली इतिहास मिट्टी में दफन हो जाएगा?

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Pratibha Pathak

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