India News,(इंडिया न्यूज), Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर में रविवार को आदिवासी समाज के युवाओं ने एक अनोखा प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है। जहां आदिवाास समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में हाथ में नारे लिखी तख्तियां पकड़ रखी थीं। जिसपर लिखा था गूंगा बहरा विधायक कुछ तो बोलो। मिली जानकारी के अनुसार ढोल-नगाड़े बजाते आदिवासी समाज के लोगों ने गोंडवाना भवन से विधायक निवास तक रैली निकाली। अदिवासी समाज का आरोप है कि एक महीने में चार बार आवेदन-निवेदन देकर अपनी मांगें रख चुके हैं, लेकिन हमारे चुने जनप्रतिनिधि ही हमारी बात नहीं सुनते।
छह महीने से हम आंदोलनरत हैं- योगेश नरेटी (Chhattisgarh)
आदिवासी समाज के सर्व आदिवासी समाज युवल प्रभाग के अध्यक्ष योगेश नरेटी ने इस नाराजगी के बार में बतातें हुए कहा कि,छह महीने से हम आंदोलनरत हैं। एक साल से पेसा कानून में संशोधन की बात कह रहे है। हमारी सरकार नहीं मान रही है। हमारे विधायक ने आज तक विधानसभा सत्र में नही बोला है। इसके चलते चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। इसी के तहत हम आज विधायक को जगाने के लिए विधायक निवास तक आए हैं।
गहरी नींद में सो रहे है विधायक- योगेश नरेटी (Chhattisgarh)
इसके आगे नरेटी ने विधायक के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, वह गहरी नींद में सो रहे हैं, इसलिए बाजे-गाजे के साथ जगाने के लिए आए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि, आज ढोल-नगाड़े बाजा बाजा कर विधायक निवास के सामने प्रदर्शन किया गया है ताकि हमारे चुने जनप्रतिनिधि इसकी आवाज के साथ हमारी मांगों को भी सुनें। यह प्रदर्शन निरन्तर चलता रहेगा, जब तक विधानसभा चुनाव नहीं आ जाते हैं। आदिवासी समाज सरकार से नाराज हैं, क्योंकि जो वादा उन्होंने किया था वो तोड़ा गया है। कोई काम नहीं किया गया है। आज हमारे विधायक सही काम करते तो आज हमें चुनावी मैदान में उतरने की जरूरत नहीं पड़ती। हम अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करते।
ये है आदिवासी समाज की मुख्य मांगे
1. आदिवासी समाज 7 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। समाज ने कहा कि अगर हमारी मांग पूरी नही होती है तो हम सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे।
2. छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के बस्तर संभाग एवं सरगुजा संभाग व कोरबा-पेंड्रा मरवाही जिला एवं अनुसूचित विकासखण्डों में संभाग / जिला कैडर के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय मूल निवासियों को भर्ती की जाए।
3. पेसा कानून में संशोधन
4. छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (6) (दो) के बाद दिए गए स्पष्टीकरण को विलोपित करते हुए पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों द्वारा पट्टा पर लिए जाने की छुट को समाप्त किया जाए।
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