India News (इंडिया न्यूज), CG News: दीपका नगर पालिका परिषद में लोकतंत्र का उत्सव शुरू हो चुका है 11 फरवरी को मतदान होना है लेकिन दीपका का एक वार्ड ऐसा है जहां चुनाव की नौबत ही नहीं आती। हर बार की तरह इस बार भी वार्ड क्रमांक 8 से प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो गया। वार्ड क्रमांक 8, जो पहले वार्ड क्रमांक 6 था, एक निजी कंपनी के अधीन क्षेत्र है। यहां रहने वाले कर्मचारी अपने बॉस के इशारे पर वोट डालते हैं यानी जो प्रत्याशी पहले से तय होता है, वही जीतता है। कोई विरोध नहीं, कोई मुकाबला नहीं। पिछले चुनावों की बात करें तो, विष्णु प्रसाद कुर्मी, विनोद बत्रा, गुरजीत सिंह और मदन सिंह सभी निर्विरोध पार्षद बने इस बार भी आलोक परिडा बिना किसी चुनौती के निर्वाचित हो गए और जल्द ही उन्हें उपाध्यक्ष पद भी मिलना तय माना जा रहा है।
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जब किसी ने किया विरोध तो..
एक बार संतोषी महिलांगे ने निर्भीकता दिखाकर नामांकन भरा, लेकिन उनके प्रस्तावक को कंपनी के लोगों ने डराया-धमकाया लेकिन फिर भी उन्होंने चुनाव लड़ा मगर नतीजा वही रहा, जो पहले से तय था। इस वार्ड की सीमाओं को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं नजदीक का कृष्णा नगर मोहल्ला और गरुड़ नगर मिलाकर एक नया वार्ड बनाया जा सकता था, लेकिन यह अब तक नहीं हुआ।
कांग्रेस से परहेज क्यों?
एक और दिलचस्प बात यह है कि इस वार्ड से या तो निर्दलीय प्रत्याशी जीतते हैं या फिर भाजपा से कांग्रेस के प्रत्याशी को यहां से टिकट ही नहीं मिलता। आखिर राजनीतिक दलों को इस स्थिति पर ध्यान क्यों नहीं देना चाहिए ? दीपका ही नहीं, बल्कि कई अन्य नगर निगमों और पंचायतों में भी निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा देखी जा रही है।