India News (इंडिया न्यूज़),Anant Sharma,Tribal Day: पूरे विश्व में कल आदिवासी दिवस मनाया जाएगा छत्तीसगढ़ में इसे कांग्रेस गौरव दिवस के रूप में मनाने जा रही है आदिवासी दिवस पर गौरव दिवस मनाए जाने पर बीजेपी कांग्रेस के ऊपर हमलावर है तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी पर पलटवार कर रही है चुनावी साल होने की वजह से सियासी पारा छत्तीसगढ़ में हाई होता जा रहा है लेकिन क्या गौरव दिवस मनाकर कांग्रेस आदिवासियों को साधने में लगी है।

2018 में कांग्रेस ने 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की

छत्तीसगढ़ में एक बड़ा वर्ग आदिवासियों का है, प्रदेश में 29 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है। इन आदिवासी सीटों पर फिलहाल सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस का है 2018 में कांग्रेस ने 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि महज 2 सीटों पर ही बीजेपी ने अपनी जीत सुनिश्चित की है हालांकि हर विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों का फोकस आदिवासी समाज होता है इस बार भी राजनीतिक दल आदिवासी समाज पर फोकस कर रहा है।

कांग्रेस विश्व आदिवासी दिवस को गौरव दिवस के रूप में मनाने जा रही है,जिसे लेकर वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने तंज कसा है उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज जब गौरव दिवस के रूप में मनाएगा तब जाकर लगेगा कि भूपेश सरकार ने आदिवासी दिवस को गौरव दिवस के रूप में स्थापित किया है, सरकार का दिवस नहीं है, सरकार कौन सा नया काम कर रही है।

बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री

कांग्रेस जहां आदिवासी वर्ग को साधने के लिए तमाम कवायद कर रही है तो वहीं इन कवायदों पर बीजेपी ने तंज भी कसा है। बृजमोहन अग्रवाल के तंज पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमने जो आदिवासियों के लिए काम किया, आज प्रत्येक आदिवासी गौरवान्वित महसूस कर रहा है।15 साल के कुशासन में आदिवासियों को लूटा गया। आदिवासियों की जमीन छीनी गई, शिक्षा से दूर रखा गया। बस्तर के आदिवासियों को नक्सली समझकर गोली से भून दिया गया या जेल में डाल दिया गया, आज ऐसी परिस्थितियां बिल्कुल नहीं है। आज लोग आजादी की सांस ले रहे हैं और विकास की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

भूपेश बघेल,मुख्यमंत्री

प्रदेश की सियासत में हमेशा से आदिवासी समाज प्राथमिकता पर रहा है, लेकिन चुनावी साल आते ही एक बड़ा मुद्दा आदिवासी समाज का भी सामने आता है। हालांकि विश्व आदिवासी दिवस को गौरव दिवस मनाने को लेकर रार छिड़ी हुई है, लेकिन इन सब के बीच आखिर 2023 विधानसभा चुनाव में आदिवासी किस करवट बैठेगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

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