इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : पांच साल पुराने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें एक महीने के लिए तलोजा जेल से निकालकर नवी मुंबई में कुछ शर्तों के साथ हाउस अरेस्ट रखने के आदेश दिए हैं। आपको बता दें, गौतम 70 साल के हैं उन पर भीमा-कोरेगांव में एल्गार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। ज्ञात हो गौतम के भाषण के बाद ही भीमा -कोरेगांव में हिंसा भड़की थी।
इन शर्तों के पर कोर्ट ने दी है गौतम नवलखा को राहत
जानकारी हो, 70 साल के गौतम नवलखा ने कोर्ट को बताया था कि वह स्किन की एलर्जी और दांत की समस्याओं से पीड़ित हैं और वह संदिग्ध कैंसर के मद्देनजर टेस्ट कराना चाहते हैं। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए कुछ शर्तें रखी हैं, इनके मुताबिक- नवलखा किसी से बातचीत के लिए मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर सकेंगे। साथ ही न कोई अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। वे न मीडिया से बात करेंगे और केस से जुड़े लोगों और गवाहों से भी संपर्क नहीं करेंगे। पुलिस की मौजूदगी में दिन में केवल एक बार मोबाइल पर बात करने की परमिशन दी गई है।
नवलखा को इन मामलों में भी मिली है छूट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गौतम नवलखा, पत्नी सहबा हुसैन के साथ रह सकते हैं। साथ ही घर के कामकाज और साफ-सफाई के लिए एक नौकरानी रख सकते हैं। पुलिस को जानकारी देकर वे सप्ताह में एक बार दो रिश्तेदारों से मिल सकते हैं।
केंद्र ने कहा नवलखा के ISI से लिंक
गौतम नवलखा की हाउस अरेस्ट की रिक्वेस्ट पर सुनवाई बुधवार को हुई थी। इस दौरान सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि हाउस अरेस्ट के दौरान गौतम नवलखा पर कंट्रोल नहीं कर पाएंगे। उनके लिंक कश्मीरी आतंकियों और ISI से हैं। उन्हें अस्पताल में रहने दीजिए।
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
एडिशनल सॉलिसिटर से कोर्ट ने कहा- ‘वह 70 साल के बुजुर्ग हैं। हमें नहीं पता कि उनकी उम्र और कितनी होगी। आपको नवलखा की उम्र का लिहाज रखकर सोचना चाहिए। वह कई तरह की हेल्थ प्रोब्लम्स से जूझ रहे हैं। आप घर में नजरबंदी के लिए जो भी पाबंदियां लगाना चाहते हैं, आप लगा सकते हैं। वह इस देश को बर्बाद नहीं करने जा रहे। क्या आप चाहते हैं कि मैं आपको बताऊं कि हमारे देश को कौन बर्बाद कर रहे हैं? यह भ्रष्टाचार है, जो देश को बर्बाद कर रहा है। हमने वीडियो देखा है कि किस तरह जनता के चुने गए प्रतिनिधियों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए।’
ये था भीमा-कोरेगांव मामला
आपको बता दें, भीमा कोरेगांव मामला साल 2017 में पुणे में एल्गार परिषद के आयोजित कार्यक्रम में कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिस कारण कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी। पुलिस का यह भी दावा रहा है कि कार्यक्रम के आयोजकों का नक्सलियों से संबंध हैं।