India News (इंडिया न्यूज़), Delhi News, नई दिल्ली: दिल्ली में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर जारी अध्यादेश को विरोध करते हुए JD(U)अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि देश की वर्तमान सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। लोकतंत्र की परिभाषा आपसे(BJP) सीखने की जरूरत है क्या हमें। बता दें राजधानी में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया था। इसके बाद केंद्र के द्वारा इसे लेकर अध्यादेश जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी। जिसके बाद दिल्ली सरकार और विपक्ष के द्वारा इस फैसले की जमकर आलोचना की जा रही है।
JD(U)अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि देश की वर्तमान सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। लोकतंत्र की परिभाषा आपसे(BJP) सीखने की जरूरत है क्या हमें। लोकतंत्र का मतलब होता है लोक का तंत्र ।…दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें है और उसमें से 63 सीटे आम आदमी पार्टी ने जीता है लेकिन वहां तीन सीट जीतने वाले LG के माध्यम से सत्ता चला रहे है।
#WATCH देश की वर्तमान सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। लोकतंत्र की परिभाषा आपसे(BJP) सीखने की जरूरत है क्या हमें। लोकतंत्र का मतलब होता है लोक का तंत्र ।…दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें है और उसमें से 63 सीटे आम आदमी पार्टी ने जीता है लेकिन वहां तीन सीट जीतने वाले LG के… pic.twitter.com/M7x1gDQQEc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 28, 2023
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में अहम फैसला सुनाया था। CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था “एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती। अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।”
ऐसे में इस आदेश को बदलने के लिए केंद्र ने इसे लेकर अध्यादेश जारी कर दिया जिसके हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी। इस नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री और प्रिंसिपल होम सेक्रेट्री होंगे। इस अथॉरिटी में अगर अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग में कोई विवाद होता है तो वोटिंग होगी। अगर मामला इससे भी नहीं सुलझा तो आखिरी फैसला उपराज्यपाल लेंगे। यानी एक तरह से दिल्ली के उपराज्यपाल को फिर से पहले का अधिकार वापस मिल गया है।
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