इंडिया न्यूज़ (New delhi, Hate speech): सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में वर्ष 2021 में धार्मिक सभाओं में नफरत फैलाने वाले भाषण दिए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली पुलिस से सवाल भी किया है कि एफआईआर दर्ज करने में पांच महीने का समय क्यों लगा? इस मामले में कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं किए जाने पर संज्ञान लेते हुए मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि जांच में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज को निर्देश दिया कि जांच में अब तक हुई प्रगति के संबंध में दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी द्वारा ब्यौरा दिए जाने के दो सप्ताह के अंदर वह एक हलफनामा दायर करें।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस पर तथाकथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में कोई कार्रवाई न किए जाने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने पिछले साल 11 नवंबर को अवमानना याचिका में उत्तराखंड सरकार और दिल्ली प्रमुख को पक्षकारों की सूची से हटा दिया था।
याचिका में कहा गया है कि घटनाओं के तुरंत बाद भाषण उपलब्ध कराए गए और वह सार्वजनिक डोमेन में भी थे। इसके बावजूद उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस ने ये भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 17 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2021 तक हरिद्वार में और 19 दिसंबर, 2021 को दिल्ली में हुई ‘धर्म संसद’ में नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए।
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