नई दिल्ली (Supreme Court on Lalit Modi): इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी ने वरिष्ठ अधिवक्ता व भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस संबंध में सुनवाई की। जस्टिस संजीव खन्ना और एम एम सुंदरेश की पीठ ने इस याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। बेंच ने ललित मोदी को वकीलों पर व्यक्तिगत टिप्पणी ना करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि पक्षकार काफी परिपक्व हैं, उन्हें इस तरह के बयानों से बचना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि ये पारिवारिक गुस्सा है इसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि हम आदेश पारित नहीं कर रहे हैं लेकिन पक्षकारों को ये सलाह है कि वो वकीलों के खिलाफ कोई भी टिप्पणी ना करें। पिछले साल एक अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएल प्रमुख और उनकी मां बीना मोदी से जुड़े एक पारिवारिक संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया था।
संपत्ति विवाद में बीना मोदी का प्रतिनिधित्व वकील वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी कर रहे हैं। शुरुआत में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के सामने एक हलफनामा पेश किया था, जिसमें कहा गया कि जब तक मध्यस्थता चल रही है तब तक कोई पोस्ट नहीं किया जाएगा। सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि मध्यस्थता के दौरान टिप्पणियां की जा रही हैं। इन्हें हटा देना जाना चाहिए। ये अदालत के आदेशों का उल्लंघन है।
ललित मोदी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अदालत के आदेश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। ये सिर्फ गुस्से का प्रकोप था। मोदी ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था, जिसमें रोहतगी के खिलाफ बयान दिया था। हालांकि, बाद के एक और पोस्ट में उन्होंने कथित तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता से माफी भी मांग ली थी।
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