होम / मस्जिद इबादत के लिए है और उसका इस्तेमाल सिर्फ इबादत के लिए किया जाए, इसके मायने क्या? : जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों की नो एंट्री, क्या अब कोई आरफा अकेली नहीं खिंचवा सकती तस्वीर

मस्जिद इबादत के लिए है और उसका इस्तेमाल सिर्फ इबादत के लिए किया जाए, इसके मायने क्या? : जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों की नो एंट्री, क्या अब कोई आरफा अकेली नहीं खिंचवा सकती तस्वीर

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : November 24, 2022, 5:19 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : जामा मस्जिद में लड़कियों की एंट्री बैन करने को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। हाल में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि वो मस्जिद के इमाम को नोटिस भेजेंगीं। वहीं जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान की भी इस संबंध में सफाई आई है। सबीउल्लाह ने मीडिया से बातचीत में बताया, “महिलाओं पर रोक नहीं लगाई गई है। जो अकेली लड़कियाँ यहाँ आती हैं, लड़कों को टाइम देती हैं, यहाँ आकर वीडियोज बनाई जाती हैं, केवल उस चीज को रोकने के लिए इस पर पाबंदी लगाई गई है।”

अधिकारी ने सफाई देते हुए कहा, “अगर आप देखेंगे तो अभी भी चारों तरह महिलाएँ मौजूद हैं। परिवार के साथ आएँगी तो कोई दिक्कत नहीं। शादीशुदा जोड़े आएँगे तो भी कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इस तरह यहाँ अकेले आना, इसे मीटिंग प्वाइंट बनाना, इसे पार्क समझ लेना, टिकटॉक वीडियो बनाना, डांस करना, किसी भी धर्मस्थल के लिए मुनासिब नहीं है। चाहे वो मंदिर हो, मस्जिद हो या गुरुद्वारा हो। किसी भी धर्मस्थल का प्रोटोकॉल रखना बहुत जरूरी है। हमारा पाबंदी लगाने का सिर्फ यही मकसद है कि मस्जिद इबादत के लिए है और उसका इस्तेमाल सिर्फ इबादत के लिए किया जाए। “वीडियो में वह आगे कहते हैं, “अगर कोई यहाँ इबादत करना चाहे तो प्लीज आएँ। उसमें किसी तरह की पाबंदी नहीं है। बस यही कहना है कि मस्जिद का इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो।”

जामा मस्जिद में अकेली लड़कियों की एंट्री पर बैन

जनकारी हो, इससे पहले खबर भी आई थी कि राजधानी दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद में लड़कियों के अकेले प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है और यह फरमान मस्जिद प्रशासन की तरफ से जारी हुआ है। इस आदेश की एक प्लेट बाकायदा मस्जिद की दीवार पर भी देखी गई थी। विश्व हिन्दू परिषद प्रवक्ता ने मस्जिद प्रशासन के इस निर्णय की आलोचना की थी। वहीं मस्जिद प्रशासन ने अपने फैसले को सही ठहराया था। कई मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं ने भी इस फैसले का विरोध किया था।।

कट्टरपंथियों ने आरफा खानम को गलत साबित किया था

आपको बता दें, मस्जिद में महिलाओं की एंट्री को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। अप्रैल 2022 में भी मस्जिद में महिलाओं की एंट्री का मुद्दा उठा था। हालाँकि तब द वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी सामने आईं और तस्वीरें साझा करते हुए संघ पर निशाना साधा था। अरफ़ा ने अपने पोस्ट में बताया कि महिलाएँ मस्जिद के अंदर जा सकती हैं जिसके बाद कट्टरपंथी ही उनके विरोध में आ गए और उनपर बेहयाई फैलाने का आरोप लगाया।

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