गोपेंद्र नाथ भट्ट, नई दिल्ली :
Acharya Mahashraman Reached Delhi : गुरु और शिष्या का रिश्ता जितना पवित्र है उतना हीसंवेदनशील भी है और यदि गुरु और शिष्या दोनों ही सन्त हों तों उनके पवित्र रिश्ते समाज के लिए न केवल अनुकरणीय बन जाते है वरन एक आदर्श उदाहरण भी बन जाते हैं। ऐसा ही कुछ किया है जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण ने जिन्होंने अपनी शिष्या शासनमाता कनकप्रभा के अस्वस्थ होने और उन्हें राजस्थान के सुजानगढ से दिल्ली के एक अस्पताल में लाकर उपचाराधीन होने के समाचार मिलते ही राजस्थान प्रवास को तुरंत छोड़अपनी अहिंसा यात्रा में परिवर्तन किया और तत्काल दिल्लीपहुँचने का निर्णय लिया।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आचार्यश्री का 22-28 मार्च के दौरान दिल्ली आना था लेकिन अपनीपीड़ित शिष्या के लिए आचार्य महाश्रमण ने अपने संघ के मुनियों के साथ सूरज केबढ़ते ताप से गरम हुई धरती और बढ़ती गर्मी एवं आकाश सेगिरती तेज धूप और प्रतिकूल मौसम की परवाह किए बिना एकसप्ताह में ढाई सौ किलोमीटर से अधिक पैदल चलते हुए एकलम्बी यात्रा पूरी की और पिछलें रविवार को एक नया इतिहासरच दिया।
महाश्रमण ने आख़िरी दिन एक दिन में 47 किमी लम्बाविहार कर शासनमाता कनकप्रभा को दर्शन दिए। इस तरहतेरापंथ धर्मसंघ की आचार्य परंपरा में एक दिन में सर्वाधिकविहार करने वाले आचार्य महाश्रमण प्रथम आचार्य बन गए । अणुव्रत अनुशास्ता युग प्रधान आचार्य महाश्रमण का दिल्ली मेंपदार्पण की खबर से हज़ारों अनुयायियों का रेला टिकरी बॉर्डरकी ओर हिलोरें लेने लगा।
आचार्य महाश्रमण ने रविवार सायं दिल्ली पहुँचते ही पश्चिमविहार स्थित ‘बालाजी एक्शन हॉस्पिटल’ में पदार्पण करवहाँ चिकित्साधीन ‘शासन माता’ कनकप्रभा को दर्शन दिए। महातपस्वी अपने गुरु के दर्शन पाकर शासनमाता कनकप्रभाअत्यंत भावुक और गदगद हो गई और और उन्होंने महाराज श्रीका शत शत वंदन और अभिनंदन किया। युगप्रधान आचार्य केमुखारबिंद पर भी परम सन्तोष दिखा।
उल्लेखनीय है कि आचार्यमहाश्रमण ने 14 नवम्बर 2014 को दिल्ली के लालकिले सेमानवता के कल्याण के लिए सद्भावना, नैतिकता औरनशामुक्ति के जनकल्याणकारी संकल्पों के साथ अपनी अहिंसायात्रा का शुभारम्भ किया था और नेपाल, भूटान सहित भारत केउत्तरी, पूर्वी, पूर्वोत्तर, दक्षिण, मध्य और पश्चिम भागों को अपनेचरणों से पावन करते हुए हज़ारों किलोमीटर की पैदल यात्राऔर अपनी अमृतवाणी से लोगों के मानस को अभिसिंचित करतेहुए महाराज के पुनः दिल्ली आगमन और पावन प्रवास सेउनके अनुयायी बहुत गदगद हैं।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघके ग्यारहवें अनुशास्ता और अणुव्रत युग प्रधान आचार्य महाश्रमण के दिल्ली प्रवास के कारण यहां छत्तरपुर स्थित अध्यात्म साधना केन्द्र का वातावरण आध्यात्मिकता से सराबोर बना हुआ है। आचार्य शासनमाता कनकप्रभा को प्रतिदिन दर्शनदेने के साथ ही उपासना तथा सेवा रूपी आध्यात्मिक सान्निध्यभी प्रदान कर रहे हैं। अपनी शिष्या की पीड़ा हरने के लिए स्वयं और अपने संघ केमुनियो के पेरों में पड़े छालों की परवाह किए बिना दोड़े-दोड़े चलेआयें आचार्य महाश्रमण द्वारा प्रस्तुत इस अनुकरणीय आदर्शउदाहरण को देख सभी धन्य-धन्य हों रहें हैं।
Acharya Mahashraman Reached Delhi
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