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Air Pollution दिल्ली में बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा वायु प्रदूषण

Vir Singh • LAST UPDATED : October 14, 2021, 10:22 am IST

75 प्रतिशत ने बताई सांस फूलने की शिकायत

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Air Pollution ठंड के दस्तक देते ही देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा खतरनाक साबित होने लगती है। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। एक ताजा शोध में सामने आया है कि लगातार बदतर होते वायु प्रदूषण ने बच्चों की सेहत पर गहरा प्रभाव डाला है। हालात यह है कि दिल्ली के 75 प्रतिशत बच्चों का दम घुटने लगा है। The Energy and Resource Institute (TERI) ने इस संबंध में शोध किया है।

इस शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की हवा में प्रमुख प्रदूषक (पीएम) 2.5 की उच्च सांद्रता है, जो दिल्ली के लोगों, खासतौर पर बच्चों के लिए खतरनाक है। बच्चों को यह सांस और हृदय संबंधी रोगों की तरफ धकेल रहा है। 413 बच्चों पर हुए स्वास्थ्य सर्वेक्षण में 75.4 प्रतिशत ने सांस फूलने की शिकायत की। इसके अलावा 24.2 प्रतिशत बच्चों की आंखों में खुजली, 22.3 प्रतिशत बच्चों में नियमित रूप से छींकने या नाक बहने व 20.9 प्रतिशत बच्चों में सुबह खांसी की दिक्कतें देखी गईं। सर्वेक्षण में शामिल इन बच्चों की उम्र 14 से 17 साल के बीच थी।

Air Pollution लगातार बढ़ रही हवा में मौजूद पीएम में जिंक की सांद्रता

टेरी के शोध के अनुसार अक्टूूबर- 2019 में दिल्ली की हवा में मौजूद पीएम 2.5 में जिंक की सांद्रता 379 नैनोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो सितंबर 2020 में बढ़कर 615 नैनोग्राम प्रति घन मीटर हो गई। इसी तरह, हवा में लेड की मात्रा 2019 में 233 नैनोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2020 में 406 नैनोग्राम प्रति घन मीटर हो गई।

टेरी के पर्यावरण व स्वास्थ्य जानकारों के मुताबिक, पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 माइक्रोग्राम/घन मीटर से कम निर्धारित है। लेकिन अगर हवा में जहरीली धातुओं की उच्च सांद्रता है तो इससे लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ने का जोखिम रहता है। सर्दियों के मौसम में विशेष तौर पर हवा में घातक धातुएं होते हैं, जिनसे सांस लेने में समस्या होती है।

Air Pollution हवा में शामिल कुछ भारी धातु बेहद खतरनाक

विशेषज्ञों के अनुसार, वायु में शामिल कुछ भारी धातु इंसानी स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं और इनके नियमित संपर्क में आने से घातक स्वास्थ्य परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु में कैडमियम और आर्सेनिक की बढ़ी हुई मात्रा ने स्थानीय लोगों को कैंसर, गुर्दे की समस्याओं और उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी रोगों के बड़े जोखिम में डाल दिया है। शोधकर्ताओं ने भारी धातुओं को पीएम 2.5 के एक प्रमुख घटक के रूप में भी पहचाना है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

Read More : What Does Air Quality Index Tell Us कोविड पेशेंट्स के लिए घातक है प्रदूषण

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