India News (इंडिया न्यूज),Akbar Road Board Controversy: महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसा में बदल गया। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके दौरान सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया और मामला बेकाबू हो गया। ‘छावा’ फिल्म में संभाजी महाराज पर हुए अत्याचारों के दृश्य से लोगों में आक्रोश बढ़ा, जिसके बाद प्रदर्शन तेज हो गया। हिंसा फैलने के बाद पुलिस को कर्फ्यू लगाना पड़ा और कई इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस ने हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान को गिरफ्तार कर लिया है और कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है, लेकिन इलाके में तनाव अभी भी बरकरार है।
दिल्ली में अकबर रोड के नाम पर विरोध
महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर उठे बवाल के बाद अब दिल्ली में अकबर रोड का नाम बदलने की मांग को लेकर हंगामा हो रहा है। बुधवार की रात कुछ प्रदर्शनकारियों ने अकबर रोड के साइन बोर्ड पर कालिख पोत दी और वहां महाराणा प्रताप का पोस्टर चिपका दिया। विरोध करने वालों का कहना है कि दिल्ली के आईएसबीटी पर महाराणा प्रताप की अष्टधातु की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी, और इसी के विरोध में उन्होंने अकबर रोड पर ऐसा किया। एक वायरल वीडियो में तीन युवक बोर्ड पर कालिख पोतते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनमें से एक युवक ‘जय भवानी, जय महाराणा’ के नारे लगाते हुए कहता है कि अगर महाराणा प्रताप की मूर्ति को सही स्थिति में वापस नहीं लगाया गया तो “एक भी आक्रांता का नाम नहीं छोड़ेंगे, मिटा देंगे।” शुक्रवार की सुबह पुलिस ने बोर्ड से कालिख और पोस्टर हटा दिए, लेकिन विरोध के निशान अब भी वहां देखे जा सकते हैं।
दिल्ली में मुगलों के नाम वाली सड़कों पर विवाद क्यों?
दिल्ली में मुगल शासकों के नाम पर रखी गई सड़कों का नाम बदलने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। इससे पहले औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था। अब अकबर रोड को लेकर भी यही मांग उठाई जा रही है। कई संगठनों का कहना है कि जिन शासकों ने हिंदू राजाओं और आम लोगों पर अत्याचार किए, उनके नाम पर सड़कें होना सही नहीं है। वहीं, इस मांग का विरोध करने वाले इसे इतिहास से छेड़छाड़ करार दे रहे हैं।
सांप्रदायिक तनाव का बढ़ता खतरा
औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में हुई हिंसा और दिल्ली में अकबर रोड पर हुए विरोध-प्रदर्शन ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। इतिहास से जुड़े विवादों को लेकर इस तरह की घटनाएं समाज में खाई बढ़ाने का काम कर रही हैं। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन लगातार बढ़ते विरोध और हिंसक प्रदर्शनों से शांति व्यवस्था पर खतरा मंडराने लगा है।
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