India News Delhi (इंडिया न्यूज़), AAP: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए एक और बड़ा संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) में सत्ता पर खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि शनिवार को दो ‘आप’ पार्षद भाजपा में शामिल हो गए। अब अरविंद केजरीवाल की पार्टी के पास भाजपा के मुकाबले सिर्फ 2 पार्षद अधिक हैं, और इस बदलाव ने एमसीडी में ‘आप’ के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

दो पार्षदों का भाजपा में शामिल होना

शनिवार को ‘आप’ की दो पार्षद, अनिता बसोया और निखिल चपराना, भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 250 सदस्यीय एमसीडी सदन में ‘आप’ के पास अब केवल 117 पार्षद बच गए हैं, जबकि भाजपा के पास 115 पार्षद हो गए हैं। इस बदलाव से दोनों दलों के बीच अब महज दो पार्षदों का अंतर रह गया है। कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं। यदि आगामी उपचुनाव के नतीजे ‘आप’ के पक्ष में नहीं आते या फिर कुछ और पार्षद भाजपा में शामिल हो जाते हैं, तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी का एमसीडी में शासन समाप्त हो सकता है।

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11 सीटों पर उपचुनाव की तैयारी

साल 2022 में ‘आप’ ने एमसीडी चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन अब अगले 11 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन उपचुनावों के नतीजे तय करेंगे कि ‘आप’ की सत्ता बनी रहेगी या फिर भाजपा को एमसीडी में ट्रिपल इंजन सरकार बनाने का अवसर मिलेगा। दिसंबर 2022 में हुए एमसीडी चुनाव में ‘आप’ ने भाजपा को हराकर 134 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के पास 104 सीटें थीं। कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थीं। हालाँकि, पिछले कुछ महीनों में ‘आप’ के कई पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं, जिससे पार्टी का गणित कमजोर हुआ है और अब उपचुनाव को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। आगामी उपचुनाव से ही यह साफ होगा कि दिल्ली में एमसीडी की सत्ता किसके पास रहेगी।

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