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सावधान! क्या आपके बच्चे भी देखते है फोन, तो ही सकता है ये हाल…

Deepika Tiwari • LAST UPDATED : November 14, 2024, 7:58 pm IST
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सावधान! क्या आपके बच्चे भी देखते है फोन, तो ही सकता है ये हाल…

delhi news

India News (इंडिया न्यूज़) Delhi News: अगर आपके बच्चे ज्यादा देर तक मोबाइल पर अपना समय गवां रहे हैं तो सावधान हो जाएं । गुरुवार को दिल्ली एम्स में ऐसे बच्चों के लिए मायोपिया क्लिनिक का उद्घाटन एम्स के डायरेक्टर डॉ एम श्रीनिवास ने किया। दिल्ली एम्स के आर पी सैंटर के चीफ डॉक्टर जे एस टिटियाल के मुताबिक़, आजकल बच्चे अपना ज्यादातर समय मोबाइल, टैपटॉप, टैब कंप्यूटर इन सब पर बर्बाद कर रहे हैं। कोरोनकाल के बाद बच्चे मोबाइल फोन के आदी हो चुके हैं जो अब उनकी आंखों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसकी वजह से बच्चों को आंख की बीमारी मायोपिया हो रही है।

मायोपिया को निकट दृष्टिदोष भी कहते है। इसमे दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। यह दुनिया भर में, खास तौर पर बच्चों में, बढ़ती चिंता का विषय है और अगर इसे नियंत्रित न किया जाए तो उम्र के साथ यह और भी खराब हो सकता है। दुनिया भर में लगभग 5 में से 1 बच्चा मायोपिया से के शिकार हैं और इसकी दर बढ़ती ही जा रही है। फिलहाल ,पूर्वी एशियाई क्षेत्रों में 80% किशोर और युवा वयस्क मायोपिक हैं। मायोपिया तेजी से आम होता जा रहा है, खास तौर पर बच्चों में। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2050 तक दुनिया की 49.8% आबादी मायोपिक होगी और 9.8% को उच्च मायोपिया होगा।

अगर इन बच्चों का समय पर इलाज नहीं हुआ तो इनमें निकट दृष्टिदोष तेज़ी से बढ़ सकता है, जिससे बाद में इन बच्चों में आंखों की ओर भी गंभीर बीमारी हो सकती है। बच्चों को रेटिनल डिटैचमेंट, ग्लूकोमा, मैक्यूलर डिजनरेशन, मोतियाबिंद ये सब बीमारी हो सकती है।

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कैसे बचें बच्चे मायोपिया से

जल्दी पता लगाने के लिए नियमित आंखों की जांच करानी चाहिए हैं। बच्चे को उचित चश्मा प्रदान करना आवश्यक है। स्कूल जाने वाले बच्चों की हर साल आंखों की जांच की जानी चाहिए। सुनिश्चित करें कि बच्चा हर रोज़ बाहरी गतिविधियों में भाग ले । नज़दीकी काम कम करें और स्क्रीन का समय कम करें। बच्चे को किताब/स्क्रीन से कम से कम 30 सेमी की दूरी बनाए रखने के लिए केवल टेबल कुर्सी पर पढ़ना चाहिए। बिस्तर पर कोई पढ़ना/नज़दीकी काम नहीं करना चाहिए। फ़ोन पर कोई पढ़ना/शैक्षणिक गतिविधि नहीं देखनी चाहिए। न्यूनतम स्क्रीन का आकार कम से कम एक टैबलेट या अधिमानत। एक लैपटॉप/डेस्कटॉप होना चाहिए। टीवी को 4-6 इंच की दूरी पर रखना चाहिए। पास में काम करते समय (कंप्यूटर स्क्रीन से लगभग हाथ की दूरी पर) उचित पढ़ने की दूरी के साथ सही मुद्रा बार-बार ब्रेक (20-20-20 नियम: हर 20 मिनट के पास की गतिविधि के बाद 20 सेकंड के लिए ब्रेक लें और 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें)। बढ़ी हुई परिवेशी इनडोर रोशनी और कमरे के अंदर प्राकृतिक रोशनी को अधिकतम करें

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स्क्रीन टाइम कितना हो:-

2 साल कीउम्र वाले बच्चों के लिए :- स्क्रीन एक्सपोजर नहीं। भोजन की सुविधा के लिए या रोते/परेशान बच्चे को दिखाने के लिए किसी भी स्क्रीन मीडिया (जैसे, स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविजन) का उपयोग न करें।

2 से 5 साल की उम्र तक बच्चों के लिए :- देखभाल करने वालों की देखरेख में सीमित अवधि (हर सेशन 30 मिनट से अधिक नहीं) के लिए शैक्षिक खेल या शिक्षण सहायता जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अधिकतम 1 घंटे की निगरानी वाली स्क्रीन समय/दिन देखें। बच्चों को बाहरी गतिविधि के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।

5-10 साल की आयु के बच्चों के लिए : – 2 घंटे से कम हर दिन, इसमें मनोरंजक स्क्रीन समय, और शैक्षिक और पाठ्येतर असाइनमेंट को पूरा करने के लिए घर पर स्क्रीन पर बिताया गया समय शामिल है। बच्चों को स्वतंत्र डिवाइस/स्क्रीन देने से बचें। बच्चों के समग्र स्वास्थ्य और विकास के लिए बाहरी शारीरिक गतिविधियाँ, नींद, परिवार और साथियों के साथ बातचीत, पढ़ाई और कौशल विकास सुनिश्चित करें।

10-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए : – मनोरंजन के लिए सीमित टाइम के लिए देखें। बच्चे कम से कम 2 घंटे बाहर बिताने के लिए प्रोत्साहित करना जाना चाहिए।

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