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Cabinet Meeting-Agriculture Law कृषि कानूनों को रद्द करने की कवायद शुरू

India News Editor • LAST UPDATED : November 24, 2021, 2:29 pm IST

Cabinet Meeting-Agriculture Law

इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली

Cabinet Meeting-Agriculture Law :तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की केंद्र के लिए मोदी सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। आज कैबिनेट की बैठक में कृषि कानूनों को निरस्त करने को में मंजूरी मिल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही थी। ऐसे में अब जब संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने में पांच दिन ही शेष बचे हैं तो पीएम मोदी की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक बुलाकर कृषि कानूनों को रद्द करने की कवायद शुरू कर दी गई है। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक पर मोहर लगा सकता है।

कृषि कानून वापस होने से गतिरोध खत्म? (Cabinet Meeting-Agriculture Law)

तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब सवा साल से पंजाब समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दिल्ली की सीमाओं पर किसान करीब एक साल से आंदोलन कर रहे हैं। किसान सरकार पर तीनों कृषि कानून वापस लेने के लिए दबाव बनाते रहे हैं। ऐसे में अब जब पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर काम भी शुरू कर दिया है तो क्या अब किसानों और सरकार के बीच टकराव समाप्त हो पाएगा। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चे ने सरकार से मांग की है कि केंद्र एमएसपी पर भी बात करे।

कैसे होंगे कृषि कानून वापस (Cabinet Meeting-Agriculture Law)

केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लेकर आएगी। जो कि संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा। यहां से पारित होने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। यहां महामहिम रामनाथ कोविंद इस पर हस्ताक्षर करते हुए विधेयक मंजूर करेंगे। उसके बाद इसे गजट में प्रकाशित कर दिया जाएगा।

एमएसपी की गारंटी (Cabinet Meeting-Agriculture Law)

किसानों की मांग है कि पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी सरकार जब तक नहीं देगी वह आंदोलन समाप्त  करने वाले नहीं हैं। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही एमएसपी पर भी समिति का गठित करने की बात कह चुके हैं। लेकिन किसानों का कहना है कि जब तक हमारी सभी मांगे पूरी नहीं होती तब तक हम घर वापस नहीं जाएंगे।
अब ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर किसान सरकार को और किस मांग को मनवाने के लिए आंदोलन जारी रखना चाहते हैं।

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